मनरेगा में अतिवृद्ध भी काम करने मजबूर
वृद्धावस्था निराश्रित पेंशन योजना से जोड़े
रायपुर। ग्रामीण गरीब वर्ग के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने दशक भर मनरेगा शुरू किया गया था। परंतु इसमें अति वृद्धजन भी काम करने मजबूर हैं।
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत वर्ष में 100 दिन रोजगार देने की योजना शुरू की गई थी। जिसमें न्यूनतम उम्र सीमा 18 वर्ष है। परंतु अधिकतम की सीमा निर्धारित नहीं की गई। बहरहाल इसके तहत 6 वर्ग बनाए गए। पहला 18 से 30 वर्ष, दूसरा 30 से 40, तीसरा 40 से 50, चौथा 50 से 60 वर्ष पांचवा 60 से 80, छठवां 80 से ऊपर।
अलग-अलग समूह का पारिश्रमिक अलग-अलग है। इस योजना की शुरुआत पर कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों बाद में अर्ध शहरी फिर शहरी क्षेत्रों में जहां बेरोजगारिता ज्यादा है वहां वर्ष में कम से कम 100 दिन अनिवार्य रोजगार (काम) उपलब्ध कराया जाए। इसका लाभ जरूरतमंदों को मिल रहा है। तो कई स्थानों पर गड़बड़ियों की शिकायत आती रहती हैं। पर योजना में 80 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग को भी रखा गया। यानी अति वृद्ध जनों को। इसके चलते बेसहारा या पीड़ित 75-80 वर्ष आयु वाले भी दो पैसा कमाने मजबूर हैं। उनकी स्थिति (शारीरिक) ठीक नहीं हैं। उन्हें मुफ्त में खाद्यान्न समेत वृद्धावस्था निराश्रित पेंशन योजना से जोड़ा जाना चाहिए। उनके काम लेकर भले ही हल्का-फुल्का हो, उन पर एक तरह से ज्यादती हैं।