सेल्फी यानी सेल्फ गोल- आउट

रायपुर। देश-प्रदेश से आए दिन खबर आती रहती है कि मोबाइल से सेल्फी लेते हुए युवा-किशोर नदी, बांध में डूबे, जलप्रपात में बहे या ट्रेन-बस से कट मरे। जिस पर रोक लगाने प्रशासन कदम उठाए। वजह लोग नहीं सुधरेंगे भले मरते रहेंगे।
मानसून पूरे रफ्तार पर देश के तीन चौथाई राज्यों में फैल चुका है। ऐसे में इन दिनों पर्यावरण क्षेत्रों में खासकर नदी, जलाशय,बांध,जलप्रपातों में घूमने जाने वालों की संख्या बढ़ी है। हर किसी के हाथ मोबाइल तक पहुंच गए हैं। जिसमें नाना प्रकार की सुविधा सूचना संबंध में है तो मनोरंजनात्मक भी। इन्हीं में कैमरा है। जिससे हर उम्र के लोग स्वयं एवं दोस्त, यारों का तस्वीर मौके (अवसर ) पर खींचना फैशन (पेशन) बना लिए हैं। पहाड़ों,ट्रेनों-गाड़ियों में ऊंची इमारतों मीनारों पर चढ़कर, राह चलते, ट्रैफिक के बीच गुजरते वक्त, सभा सम्मेलन,मेला-उत्स्व आदि आदि के समय।
सेल्फी लेते उन्माद या उत्साह इतना अधिक रहता है कि डेंजर जोनों, खतरनाक क्षेत्रों में व्यक्ति भूल जाता है कि मौत पीछे खड़ी मुस्कुरा रही होती है। जो मौका देखती रहती है। सच कहें तो सेल्फी लेते-सेल्फ आउट या सेल्फ गोल के हालात बनने लगे हैं। प्रशासन को समझाना होगा कि लोग इस मामले में जरा भी गंभीर नहीं है। अतः उपरोक्त पर्यटन स्थलों पर सीसीटीवी (कैमरे) लगवाने होंगे। जिन पर गंभीर मामले देख जुर्माना लगाया जा सके। सड़कों-चौराहों, रेलवे स्टेशन में लगे सीसीटीवी की जांच इस (सेल्फी) संदर्भ में रोज हो। याने सेल्फी सेल्फ गोल या सेल्फ आऊट होकर व्यक्ति खुद मर कर (हारकर) टीम को (परिवार को) हमेशा के लिए रोने, तड़फने — छोड़ जाता हैं। जाने वाले के बाद परिवार में हमेशा कसक, टीस, पीड़ा कायम रहती हैं।