दैवेभो-संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का सरकार मन बना….!

सही वक्त और किसी का इंतजार !
रायपुर। प्रशासनिक क्षेत्रों में अंदरूनी चर्चा है कि राज्य सरकार हजारों दैनिक वेतन भोगियों एवं संविदा कर्मचारियों को नियमित कर सकती है। उनसे इस दिशा में लंबी मंत्रणा कर निर्णय कर लिया है और सही वक्त देखकर इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेश के 45 हजार से अधिक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, संविदा कर्मचारी समेत अंशकालीन कर्मचारी, प्लेसमेंट से लिए गए अस्थायी कर्मी तूता, नवा रायपुर इलाके में करीब माह भर से नियमितीकरण की एक सूत्री मांग लेकर प्रदर्शनरत हैं। जिन्हें सरकार ने काम पर लौटने अन्यथा कार्रवाई की पूर्व में चेतावनी दी थी।
परंतु प्रदर्शनकारी नहीं लौटे और उग्र हो गए। तब शासन ने एस्मा यानी अनिवार्य सेवा नियम लागू किया, जिसे भी धत्ता बता प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। एस्मा लागू होने के 8-10 दिन बाद भी काम पर नहीं लौटने पर शासन कर्मचारी को एकतरफा बर्खास्त कर सकता है। प्रदर्शनकारियों ने संविदा लिखी तख्तियाें एवं एस्मा आदेश की प्रतियां जला दी। आंदोलन का रुख रोज बदल रहें हैं।
खैर ! अगर प्रशासनिक सूत्रों की माने तो सरकार ने अब शायद नियमितीकरण का मन बना लिया है। वह गिनती जुटा रही है कि वास्तव में कितने दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मचारी नियमानुसार लंबे अरसे से कार्य कर रहे हैं। परंतु इन दो वर्गों को छोड़ अंशकालीन एवं प्लेसमेंट कर्मियों का नियमितीकरण नहीं होगा। बल्कि मानदेय या वेतनमान में इजाफा किया जाएगा। अंदर की चर्चा है कि कांग्रेस के किसी बड़े राष्ट्रीय नेता को आमंत्रित कर उनके समक्ष घोषणा सरकार करेगी।
चर्चा यह भी है कि अगर घोषणा होती है तो इसका बड़ा फायदा आगामी विधानसभा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिल सकता है। मान लीजिए 30 हजार कर्मियों को नियमित किया गया तो परिवारिक नजरिए से इसका चार से पांच गुणा अधिक मतदाता प्रभावित होगा। स्वाभाविक है कि एक लाख बीस हजार से अधिक वोटर राज्य में शायद प्रभावित होगा। चर्चा यह भी है कि उक्त निर्णय के पीछे राजनैतिक वजह भी है। दरअसल प्रदेश में कांग्रेस सरकार है। वह विपक्ष को बैठे-बिठाए यह चुनावी मुद्दा नहीं देना चाहेगी कि पूर्व में किए गए वायदे के मुताबिक सरकार ने अमल नहीं किया। तब वोटर (मतदाता ) के विपक्ष की ओर जाने की आशंका रहेगी।