Tue. Jul 22nd, 2025

मणिपुर मामले में पेचिदगी बढ़ रही..!

वक्त आ गया है देश हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर चर्चा करें पार्टियां

वक्त आ गया है कि मणिपुर मामले पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, देश हित में तमाम प्रमुख दल संसद में चर्चा का समन्वित कदम उठाएं। अन्यथा मसला और पेचिदा होता चला जाएगा।

संसद का मानसून सत्र चल रहा है। जिसमें सत्ता पक्ष का कहना है कि वह मणिपुर पर चर्चा करने कराने तैयार हैं पर विपक्षी तैयार नहीं है यह कि सहयोग नहीं कर रहा। दूसरी और विपक्ष इस मामले पर गृहमंत्री की जगह पीएम से सीधा जवाब की मांग पर अड़ा है। सरकार पर चर्चा से भागने का आरोप लगा रहा है।

देश के तमाम पार्टियों को मणिपुर समस्या एवं गंभीरता की जानकारी है। वे राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों से भी अच्छी तरह अवगत हैं। वे इस बात से भी वाकिफ है कि मसले पर ढिलाई से यह और पेचिदा होता चला जाएगा। सभी जानते हैं कि म्यांमार, बांग्लादेश एवं चीन मणिपुर से लगे हुए हैं। जो संवेदनशीलता को बढ़ा देते हैं। म्यांमार के 718 नागरिक अवैध तौर पर मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं। जिस पर चिंतित राज्य सरकार ने असम राइफल्स से रिपोर्ट मांगी हैं। तथा सबको वापस म्यांमार भेजने कहा हैं।

हालात जिस कदर खराब हो चले हैं, उससे कहीं ऐसा न हो कि पड़ोसी देश इसको अवसर के तौर पर इस्तेमाल करें। यह शक इसलिए गहराता है कि मणिपुर जातीय संघर्ष जान लेने-देने तक कटु हो गया है। वहां के नागरिक, जनजातीय समुदाय के लोग बंदूक उठाए हुए हैं तो वही दोनों समुदाय के स्थानीय पुलिसकर्मी भी अपने लाइसेंसी सरकारी हथियार, शस्त्र लेकर उपद्रवियों के साथ खड़े हो गए हैं। नौकरी त्याग दी हैं। इससे सेना का सशस्त्र बल सशंकित है। दोनों समुदाय के बच्चों, युवतियों, महिलाओं, बुजुर्गों की स्थिति दिन पर दिन खराब होते जा रही है।

दोनों समुदाय के जाति दुश्मन बने हुए हैं। दोनों ओर लोग मारे जा रहे हैं। तो वहीं महिलाएं, युवतियां दुष्कर्म की शिकार हो रही है। कोई महिला अपना पिता, भाई, पति, या पुत्र खो रही है तो वहीं पुरुष वर्ग भी भाई, पिता, पुत्र।

उपरोक्त हालातों के मद्देनजर अब वक्त आ गया है कि तमाम दल-दलगत राजनीति से ऊपर उठें। संसद के मानसून सत्र में समन्वय बना चर्चा करें। देश हित पहले है। देश है तो हम हैं। देश रहेगा तो राजनैतिक दल कायम रहेंगे। गंभीरता से साफ-स्वच्छ, इमानदारी, दिल से मसला पर चर्चा कर समन्वित निर्णय लें। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार मणिपुर में कभी आतंकवाद के प्रतीक जम्मू कश्मीर से खराब हालत है। एक-दूसरे पर दोषारोपण कर राजनैतिक दल पल्ला न झाड़े। मसले पर सत्ता पक्ष – विपक्ष साथ खड़े हो।

About The Author