एयर डिफेंस में भारत का मास्टरस्ट्रोक, रूस से और मिल सकता है ये घातक हथियार
रूस भारत को 2-3 अतिरिक्त S-400 मिसाइल प्रणाली देने को तैयार है, जिससे देश की हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी. “ऑपरेशन सिंदूर” में S-400 की क्षमता साबित होने के बाद यह पेशकश आई है. नई डील में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 50% तकनीक हस्तांतरण भी शामिल होगा, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारतीय वायुसेना को अजेय ‘सुदर्शन चक्र’ प्रदान करेगा.
भारत की हवाई सुरक्षा शक्ति आने वाले दिनों में और मजबूत हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक रूस ने संकेत दिए हैं कि वह भारतीय वायुसेना को दो से तीन अतिरिक्त S-400 देने के लिए तैयार है. यह पेशकश उस समय आई है, जब ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में भारतीय S-400 सिस्टम ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों को रोककर अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया था.
सूत्रों के मुताबिक रूस की सरकारी फर्म रोस्टेक ने साफ संकेत दिए हैं कि भारत के साथ नए सौदे पर शुरुआती बातचीत शुरू हो चुकी है. रूस का दावा है कि इस बार डिलीवरी समय पर और तय शेड्यूल के अनुसार होगी, ताकि पिछली देरी की समस्या दोबारा न आए.
पुरानी डील की दो रेजिमेंट अभी भी बाकी
भारत ने 2018 में करीब 5.43 अरब डॉलर में कुल पांच S-400 रेजिमेंट खरीदने का अनुबंध किया था.
- पहली तीन रेजिमेंट 2023 तक भारतीय वायुसेना को मिल चुकी हैं.
- चौथी और पांचवी रेजिमेंट यूक्रेन युद्ध के कारण अटक गईं और अब उनकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत और मध्य तक खिसक गई है.
- इसी वजह से भारत ने रूस को साफ कहा है नई डील तभी फाइनल होगी, जब डिलीवरी टाइमलाइन पूरी तरह सुनिश्चित होगी.
S-400 बना भारत की हवाई सुरक्षा का सुदर्शन चक्र
भारतीय वायुसेना में S-400 को प्रतीकात्मक रूप से “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है. चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर तैनात यह सिस्टम भारत की मल्टी-लेयर एयर डिफेंस का मुख्य स्तंभ बन चुका है.
ऑपरेशन सिंदूर में इसकी क्षमता विश्व स्तर पर हाईलाइट हुई
- आदमपुर से तैनात इकाई ने 314 किमी दूर पाकिस्तानी विमान मार गिराकर रिकॉर्ड बनाया है.
- IAF चीफ ने पुष्टि की कि S-400 ने छह पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट JF-17 लड़ाकू विमान और एक ISR विमान को 300 किमी+ रेंज से खत्म किया
- इसकी Big Bird रडार ने एक साथ 300+ हवाई लक्ष्यों को ट्रैक किया
- सिस्टम को तैनात करने का समय सिर्फ 5 मिनट से कम रहा
- इन आंकड़ों ने यह साबित कर दिया कि S-400 भारत की एयर डिफेंस नेटवर्क की रीढ़ है.
नई डील में मेक इन इंडिया का तड़का
बातचीत में एक बड़ा फोकस यह है कि रूस S-400 मिसाइलों के लिए 50% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) देने को तैयार है.
- BDL जैसी भारतीय कंपनियाँ मिसाइल असेंबली में शामिल हो जाएंगी.
- अक्टूबर 2025 में मंजूर 48N6 मिसाइल के लोकल प्रोडक्शन को भी तेजी मिलेगी.
- S-400 सपोर्ट सिस्टम में 50% तक स्वदेशीकरण संभव हो जाएगा.
- लागत घटेगी और भारत की बाहरी निर्भरता कम होगी.
- यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
डील कब पक्की हो सकती है?
- बातचीत 2026 के मध्य तक पूरी होने की उम्मीद
- नई रेजिमेंट की डिलीवरी 20292030 के बीच शुरू होने की संभावना
- अनुमानित लागत 23 अरब डॉलर
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने न सिर्फ S-400 की क्षमता को साबित किया है, बल्कि भारतरूस रक्षा सहयोग में एक नया रणनीतिक अध्याय भी खोल दिया है. अगर नई डील पक्की होती है, तो भारत की हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी और पड़ोसी देशों के किसी भी हवाई खतरे को रोकने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.

