दर्जन भर डॉक्टरों के फोन धमाके के बाद से बंद, जांच एजेंसियां तलाश में जुटीं
दिल्ली लाल किले के ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियां कई डॉक्टरों के मोबाइल फोन और CDR से जुड़े नेटवर्क का पता लगा रही हैं। नूंह और फरीदाबाद से कई डॉक्टरों को पकड़ा गया है। अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की भी प्रशासन ने गहन जांच शुरू कर दी है।
नई दिल्ली: दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए बम धमाके के मामले में जांच एजेंसियों को बड़ा सुराग मिला है। गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टरों के साथ-साथ डॉक्टर मुजम्मिल के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड यानी कि CDR से एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, एजेंसियों ने डॉक्टरों की एक लंबी लिस्ट तैयार की है। इसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी से पढ़े और वहां काम करने वाले डॉक्टरों की संख्या ज्यादा है। इनमें से कई डॉक्टरों के फोन उमर के बम धमाके के बाद से बंद हैं, जिन्हें जांच एजेंसियां ट्रेस कर रही हैं। सूत्र बताते हैं कि करीब एक दर्जन से ज्यादा डॉक्टरों की तलाश की जा रही है, जो जैश से जुड़े इन संदिग्धों के संपर्क में थे।
नूंह से हुई डॉक्टरों की गिरफ्तारी
दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए ब्लास्ट की जांच अब हरियाणा के नूंह तक पहुंच गई है। नूंह के अब तक 5 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं, इनमें 2 डॉक्टर और MBBS स्टूडेंट है। तीनों का फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से नाता है। फिरोजपुर झिरका से डॉ. मोहम्मद, नूंह शहर से डॉक्टर रिहान और पुन्हाना के सुनहेड़ा गांव से डॉ. मुस्तकीम को अरेस्ट किया गया है। जांच एजेंसियों ने फिरोजपुर झिरका के गांव अहमदबास के रहने वाले डॉ. मोहम्मद को पकड़ा है। मोहम्मद ने MBBS अल फलाह यूनिवर्सिटी से ही की है। करीब 3 महीने पहले ही मोहम्मद ने यूनिवर्सिटी से 6 महीने की इंटर्नशिप पूरी की थी और वह नौकरी की तलाश में था। जानकारी के मुताबिक, मोहम्मद 15 नवंबर को अल फलाह यूनिवर्सिटी में ड्यूटी जॉइन करने वाला था लेकिन उससे पहले दिल्ली में ब्लास्ट हो गया।
यूनिवर्सिटी की जमीन की होगी जांच
इसी कड़ी में फरीदाबाद जिला प्रशासन ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की जमीन की गहन जांच के आदेश दिए हैं। धौज गांव में बनी यूनिवर्सिटी की जमीन करीब 78 एकड़ में फैली हुई है। अब प्रशासन यह पता लगाने में जुटा है कि इस जमीन का कितना हिस्सा इस्तेमाल हो रहा है और कितना खाली पड़ा है। इसके लिए पटवारी यूनिवर्सिटी की जमीन की पैमाइश कर रहे हैं। जमीन की लंबाई, चौड़ाई और जिस जगह पर इमारतें बनी हैं, उसका पूरा हिसाब-किताब तैयार किया जा रहा है। सिर्फ जमीन की माप ही नहीं, बल्कि प्रशासन यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ये जमीन किससे और किस कीमत पर खरीदी गई थी। यूनिवर्सिटी ने जमीन खरीदने में किन लोगों को पैसे दिए और कितने दिए, इसका भी पूरा रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।

