Wed. Oct 15th, 2025

छत्तीसगढ़ में बिजली बिल में उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 11 पैसे की मिलेगी राहत

जीएसटी रिफार्म 2.0 का फायदा छत्तीसगढ़ के बिजली उपभोक्ताओं को हो सकता है। बिजली कंपनी के अधिकारियों का दावा है कि इस रिफॉर्म के कारण कोयले पर लगाए जाने वाले कंपनसेशन सेस कम होगा। जिससे बिजली बिल में उपभोक्ताओं को 11.54 पैसे प्रति यूनिट की कमी का अनुमान है।

रायपुर: भारत सरकार द्वारा लागू किए गए जीएसटी रिफार्म 2.0 के तहत कोयले पर लगने वाले कंपनसेशन सेस को समाप्त कर दिया गया है। बिजली वितरण कंपनी के अधिकारियों ने दावा किया है कि अप्रत्याशित रूप से जीएसटी रिफार्म के इस कदम के कारण बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में 11 पैसे प्रति यूनिट तक की राहत मिल सकती है।

यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने और मध्यम वर्ग को राहत देने के उद्देश्य से उठाया गया है। कोयला ताप विद्युत उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण ईंधन है और कंपनसेशन सेस के समाप्त होने से इसकी लागत में कमी आने की संभावना है।

बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 22 सितंबर से कोयले पर लगाए जाने वाले कंपनसेशन सेस को 400 रुपये प्रति टन समाप्त किया गया है, जबकि कोयले पर जीएसटी दर को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इन बदलावों से छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी को कोयला 152.36 रुपये प्रति टन कम कीमत पर प्राप्त होगा, जिससे उत्पादन लागत में 11.54 पैसे प्रति यूनिट की कमी का अनुमान है।

इससे विद्युत उपभोक्ताओं को निश्चित रूप से लाभ होगा और सरकार की मंशा के अनुरूप बिजली बिलों में राहत मिलेगी। सरकार का यह कदम न केवल बिजली उत्पादन लागत को घटाने में मदद करेगा, बल्कि इससे भारतीय उपभोक्ताओं को भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

पहले बढ़ाया दर, फिर हाफ योजना भी घटाया

राज्य की पिछली भूपेश बघेल सरकार बिजली उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए बिजली बिल हाफ योजना शुरू की थी। जिसके तहत राज्य में 400 यूनिट तक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के बिल का आधा किया कर दिया था। लेकिन साय सरकार में इस योजना में पिछले महीने बदलाव कर पिछले छह सालों से 400 यूनिट तक बिजली बिल पर मिल रही 50 प्रतिशत की सब्सिडी को सितंबर महीने से समाप्त कर दिया था।

इससे पहले घरेलू और गैर घरेलू बिजली की दरों में 20 से 25 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी भी बिजली नियामक आयोग के प्रस्ताव पर बिजली कंपनी ने की थी। इस फैसले का पूरे प्रदेश में विरोध हो रहा है। विपक्ष भी लगातार अपनी आवाज उठा रही है।

About The Author