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क्या कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ दर्ज होगी FIR? दिल्ली कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सोनिया गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मामला कथित तौर पर भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले मतदाता सूची में उनका नाम होने का है।

 

नई दिल्लीः दिल्ली का राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट अपना फैसला गुरुवार शाम चार बजे तक सुना सकता है। आरोप है कि सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिकता मिलने से 3 साल पहले ही अपने नाम को मतदाता सूची (Electoral Rolls) में शामिल करा लिया था और इसके लिए फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया गया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दी ये दलील

याचिका में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल 1983 में नागरिकता हासिल की थी। जबकि उनका नाम 1980 की वोटर लिस्ट में शामिल था। याचिका में सवाल उठाया गया है कि 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में नाम कैसे शामिल हुआ था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि 1982 में सोनिया गांधी का नाम डिलीट हुआ। वोटर लिस्ट से आखिर क्यों डिलीट किया गया।

याचिका में सवाल उठाया गया है कि जब 1983 में नागरिकता हासिल की तो किस डाक्यूमेंट्स के आधार पर 1980 में वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराया गया? क्या फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया। याचिका में दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई कि वो मुकदमा दर्ज कर इस मामले की जांच करे और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। याचिकाकर्ता ने कहा कि साल 1980 में मतदाता सूची में उनका नाम शामिल होने का मतलब है कि कुछ जाली दस्तावेज़ जमा किए गए थे और यह एक ऐसा मामला है जो दर्शाता है कि एक संज्ञेय अपराध किया गया है।

सोनिया गांधी को जारी नहीं हुआ नोटिस

राउज़ एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।  फिलहाल अदालत ने सोनिया गांधी या दिल्ली पुलिस को कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया।

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