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शराब घोटाले में भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

BHUPESH BAGHEL

CG liquor scam: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सोमवार, 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आंशिक राहत मिली है। दरअसल, अदालत ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वे पिता-पुत्र की याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करें। ये याचिकाएं छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच और गिरफ्तारी से संबंधित व्यक्तिगत राहत की मांग को लेकर दायर की गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा कि बघेल और उनके बेटे को फिलहाल जांच या गिरफ्तारी से राहत के लिए राज्य के हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह मामले पर त्वरित और प्राथमिकता के साथ विचार करे।

Chhattisgarh liquor scam क्या है पूरा मामला?
भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल पर आरोप है कि वे छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संलिप्त हैं। इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की जा रही है। ईडी का आरोप है कि शराब व्यापार से जुड़ी एक संगठित आपराधिक साजिश के तहत हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जिसमें सरकारी अधिकारियों और कारोबारियों की मिलीभगत सामने आई है।

PMLA केस को दी चुनौती
इस केस में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बघेल और उनके बेटे ने प्रवर्तन निदेशालय को जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती जैसे अधिकार देने वाले प्रवर्तन निदान अधिनियम (PMLA) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी है।इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता इन संवैधानिक प्रश्नों पर सुनवाई चाहते हैं, तो उन्हें नई याचिका दायर करनी होगी। अदालत ने कहा कि इस नई याचिका पर 6 अगस्त 2025 को विचार किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि, “हम इस स्तर पर व्यक्तिगत राहत के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। उचित होगा कि याचिकाकर्ता पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रुख करें, जो मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय ले।”

इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि संवैधानिक सवालों को लेकर उठे मुद्दे को टाला नहीं जाएगा, बल्कि याचिकाकर्ताओं को उचित प्रक्रिया अपनाकर उसे फिर से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लाने की अनुमति दी गई है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं और हाल ही में सत्ता गंवाने के बाद से लगातार राज्य और केंद्र सरकार पर एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, जबकि भाजपा और जांच एजेंसियों का कहना है कि जांच पूरी तरह कानून सम्मत और तथ्यों पर आधारित है।

सुप्रीम कोर्ट ने जहां बघेल परिवार को तात्कालिक राहत नहीं दी, वहीं उनके संवैधानिक अधिकारों पर सवाल उठाने के प्रयास को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई के लिए 6 अगस्त की तारीख तय की है। अब सबकी निगाहें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की ओर हैं, जहां यह तय होगा कि भूपेश बघेल और उनके बेटे को जांच या गिरफ्तारी से कोई अंतरिम राहत मिलती है या नहीं।

 

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