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मालदीव पहुंचे पीएम मोदी, राष्ट्रपति मुइज्जू समेत कई मंत्रियों ने किया स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मालदीव पहुच गए हैं. राष्ट्रपति मुइज्जू ने उनका भव्य स्वागत किया. पीएम मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस में चीफ गेस्ट के तौर पर गए हैं. मोदी के स्वागत के लिए वहां के लोग अपने हाथों में तिरंगा लेकर लहरा रहे थे. मोदी की यह यात्रा कई मायनों में बहुत ही महत्वपूर्ण और खास होने वाली है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन की दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद शुक्रवार को मालदीव के माले पहुंचे गए हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने पीएम मोदी को गले लगाकर उनका स्वागत किया. इसके अलावा पीएम के स्वागत के लिए देश के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री भी मौजूद थे.

मालदीव के साथ चल रहे तनाव के बीच पीएम को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीफ गेस्ट के रूप में बुलाने का मतलब है कि दोनों देश एक दूसरे के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भारत नहीं चाहता कि मालदीव के साथ उसके संबंध और खराब हो, क्योंकि भारत जानता है कि अगर ऐसा हुआ तो इससे चीन को अधिक फायदा होगा.

सारे देश में मोदी की बधाई वाले पोस्टर लगाए गए

मालदीव में हर जगह पीएम मोदी के स्वागत और बधाई वाले पोस्टर लगे हुए हैं. अधिकतर पोस्टरों पर मोदी की फोटो थी. पीएम मोदी का स्वागत करने आए लोगों के हाथ में भारत का तिरंगा लहरा रहा था. कई बच्चे मोदी के प्रति अपने प्रेम को दिखाने के लिए उनकी फोटो अपने साथ में लिए थे.

पीएम मोदी की मालदीव यात्रा खास क्यों?

पीएम मोदी की मालदीव की यात्रा कई मायनों में खास हैं. भारत-मालदीव संबंधों में स्थायित्व और भरोसे की फिर से बहाल करना एक महत्वपूर्ण कारण है. इसके अलावा स्वतंत्रता समारोह के मौके पर आमंत्रण भारत की बड़ी रणनीतिक जीत भी हैं. चीन को संदेश मिला की दक्षिण एशिया में भारत की कूटनीति निर्णायक भूमिका में है, चीन को लेकर भारत के लिए यह अच्छा है.

राष्ट्रपति मुइज्जु की सरकार के भारत विरोधी कई फैसलों के बावजूद मोदी सरकार ने संयम का परिचय दिया और अपनी कुशल रणनीति से हालात बदल दिए. भारत अपने पड़ोसी मालदीव से टकराव कभी नहीं चाहता था.

मालदीव से टकराव क्यों नहीं चाहता था भारत ?

ऐसी कई वजह से जिससे की भारत नहीं चाहता कि मालदीव के साथ उसके तनाव और बड़े. भू-राजनीतिक महत्व की वजह से भारत मालदीव के टकराव नहीं करना चाहता क्योंकि हिंद महासागर में भारत का सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी मालदीव ही है. इसके अलावा मालदीव में चीन निवेश के जरिए अपना दखल बढ़ा रहा था. तीसरा कारण भारत की पड़ोसी प्रथम नीति है, जिसमें भारत की प्राथमिकता में मालदीव हमेशा शीर्ष पर रहा है.

भारत ने कैसे बदला समीकरण

भारत ने मालदीव को आर्थिक मदद करने के लिए 2024 में मालदीव को 400 मिलियन डॉलर की मदद की थी. भारत ने रक्षा सहयोग जैसे नौसैनिक उपकरण, ट्रेनिंग और विमान सेवा भी बरकरार रखी थी. कई प्रोजेक्ट के जरिए भारत ने मालदीव में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया था. भारत ने जनवरी और मई 2025 में नई दिल्ली और माले में कई उच्च स्तरीय बैठक की थी. इस तरह के राजनीतिक संवाद ने भी दोनों देशों के बीच तनाव खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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