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15 अगस्त से पहले भारतीय सेना को मिलेंगी 7000 AK-203 असॉल्ट राइफल

AK-203 असॉल्ट राइफल का निर्माण यूपी के अमेठी में भारत-रूस के बीच समझौते के तहत हो रहा है। हालांकि, दिसंबर 2025 से पूरी तरह स्वदेशी राइफल का निर्माण शुरू हो सकता है।

भारतीय सेना को 15 अगस्त से पहले AK-203 असॉल्ट राइफलों की अगली खेप मिलने वाली है। इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) ने अगले दो से तीन हफ्तों में लगभग 7,000 राइफल की डिलीवरी की बात कही है। खास बात यह है कि इन आत्मनिर्भर भारत के तहत इन राइफल का निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी में हो रहा है। दिसंबर 2025 से यहां पूरी तरह से स्वदेशी राइफल का निर्माण शुरू होने की संभावना है।

अधिकारियों के अनुसार, समय पर राइफल की यह आपूर्ति भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राइफलों का उत्पादन उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित IRRPL संयंत्र में किया जा रहा है। आने वाले सालों में AK-203 भारतीय सेना की प्रमुख असॉल्ट राइफल बन जाएगी। 10 साल के अंदर भारतीय सेना को 6 लाख से ज्यादा AK-203 असॉल्ट राइफल दिए जाने की योजना है। इन राइफलों का निर्माण भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम के तहत किया जा रहा है।

आईआरआरपीएल का बयान

आईआरआरपीएल के अधिकारियों के अनुसार असॉल्ट राइफल का उत्पादन पूरी तरह से पटरी पर है। इस साल के अंत तक इस राइफल के पूरे स्वदेशी वर्जन का निर्माण शुरू हो सकता है। 31 दिसंबर से इस राइफल के पूर्ण स्वदेशी वर्जन का निर्माण शुरू होगा। इसके बाद इस राइफल को शेर के नाम से जाना जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना को 6 लाख से ज्यादा एके-203 असॉल्ट राइफलों का विशाल ऑर्डर दिसंबर 2030 तक मिलने वाला है। हालांकि, इसकी समयसीमा दिसंबर 2032 तक है, लेकिन 22 महीने पहले ही IRRPL पूरा ऑर्डर दे सकती है।

AK-203 राइफल की खासियत

AK-203 राइफल कलाश्निकोव राइफल का आधुनिक संस्करण है। इसमें बेहतर सटीकता, बेहतर एर्गोनॉमिक्स और बेहतरीन अनुकूलन क्षमता है। यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों और आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए उपयुक्त है। इसकी रेंज 800 मीटर तक है और एक मिनट में 700 राउंड फायर करने में सक्षम है। भारत ने जुलाई 2021 में इन राइफलों के लाइसेंस प्राप्त उत्पादन के लिए रूस के साथ 5,000 करोड़ रुपये का समझौता किया था, जिसमें तकनीकी का पूरा ट्रांसफर भी शामिल था।

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