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देश के 259 शहरों की हवा प्रदूषित, दिल्ली सेकंड, जानें अन्य शहरों का हाल

सीआरईए ने छह महीने तक देश के 293 शहरों की हवा का विश्लेषण किया। अब रिपोर्ट जारी की है। दिल्ली दूसरे स्थान पर है। जानिये एनसीआर के अन्य शहर कौन से पायदान पर हैं।

बारिश के बाद दिल्ली के वायु प्रदूषण में कमी देखी जा रही है। वजीराबाद को छोड़कर बाकी क्षेत्रों में एक्यूआई (AQI) लेवल 100 के नीचे दर्ज किया गया है। लेकिन, पिछले 6 महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली भारत के दूसरे सबसे बड़े प्रदूषित शहर में शामिल देखा गया है। यह दावा सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीआरईए ने जनवरी से जून के बीच 293 शहरों से वायु गुणवत्ता डेटा का विश्लेषण किया। विश्लेषण से पता चला कि पिछली छमाही के दौरान दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 87 मिलीग्राम प्रति घन मीटर पाया गया। दिल्ली भारत का दूसरा ऐसा शहर रहा, जहां पीएम 2.5 का स्तर वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों यानी 40 मिलीग्राम प्रति घन मीटर पार कर लिया। सबसे प्रदूषित शहरों की बात करें तो असम और मेघालय की सीमा पर स्थित बर्नीहाट शहर में पीएम 2.5 का लेवल 133 मिलीग्राम प्रति घन मीटर पाया गया है। सबसे प्रदूषित वायु वाले शहरों की सूची में हापुड़ तीसरे स्थान पर रहा, जबकि चौथे स्थान पर गाजियाबाद चौथे और पांचवें स्थान पर गुरुग्राम रहा।

एक दिन भी नहीं बही स्वच्छ हवा

इस रिपोर्ट के मुताबिक, बर्नीहाट में एक दिन भी एक्यूआई लेवल अच्छे की श्रेणी में नहीं दिखा। मतलब एक्यूआई 50 से कम होता है, तो इसे अच्छा कहा जाता है। इसके विपरीत बर्नीहाट की औसत सांद्रता 128 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी। इसका अर्थ है कि बर्नीहाट में एक भी दिन स्वच्छ हवा नहीं बही। दिल्ली में भी 10 जनवरी 2025 को ही पीएम 2.5 का मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक मानकों को पार कर चुके थे और 5 जून 2025 तक भारत के राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पार कर लिया था। यह दर्शाता है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का रुझान कुछ भी हो, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पार किया है।

259 शहरों की हवा भी संतोषजनक नहीं

इस विश्लेषण में पाया गया कि 293 शहरों में से 259 शहरों में भी वायु प्रदूषण तय मानकों से अधिक मिला है। यह दर्शाता है कि सिर्फ बर्नीहाट और दिल्ली एनसीआर के शहर ही नहीं बल्कि देश के अन्य शहरों में भी वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। इसका कारण भी बताया गया है। विभिन्न अध्ययनों के हवाले से बताया गया कि पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाने में परिवहन 17 से 28 फीसद, धूल कणों से 17 से 38 फीसद, औद्योगिक गतिविधियों और बिजली संयंत्रों की वजह से 22 से 30 फीसद, आवासीय दहन से 8 से 10 फीसद और कृषि अपशिष्ट दहन से 4 से 7 फीसद का योगदान देते हैं। सुझाव दिया गया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए गंभीरता से कार्य करने की आवश्यकता है।

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