मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में पेश की रिपोर्ट

बंगाल सरकार की रिपोर्ट में डेट वाइज हिंसा के बारे में बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 अप्रैल को जंगीपुर में करीब 8 से 10 हजार की संख्या में भीड़ जुटी और उस दिन हिंसा में पुलिस की जान लेने की कोशिश की गई।
कलकत्ता: मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं । ममता बनर्जी की सरकार ने हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट दाखिल की है उसमें कहा गया है कि उपद्रवियों ने जानबूझकर हिंदुओं को टारगेट किया था। बंगाल सरकार की रिपोर्ट में डेट वाइज हिंसा के बारे में बताया गया है।
कलकत्ता हाईोकोर्ट ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से विस्थापित हुए लोगों की पहचान करने और उनके पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन करने का बृआदेश दिया है। न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने कहा कि मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CPF) की तैनाती के निर्देश के लिए 12 अप्रैल को दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा। अदालत ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) के एक-एक अधिकारी के अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव भी शामिल होंगे।
अदालत ने कहा, ‘‘हम तीन अधिकारियों वाली एक समिति गठित करना उचित समझते हैं जो स्थिति की निगरानी और समन्वय करेगी।’’ उच्च न्याायालय ने समिति को विस्थापित व्यक्तियों की पहचान करने, पीड़ितों की संपत्तियों को हुए नुकसान का मूल्यांकन करने तथा दर्ज प्राथमिकियों का आंकड़ा एकत्र करने का निर्देश दिया है। समिति को पीड़ितों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने में सुविधा प्रदान करने तथा अंतराल अवधि के दौरान विस्थापित व्यक्तियों के कल्याण की निगरानी करने का भी आदेश दिया गया है। राज्य प्रशासन को निर्देश दिया गया कि वह समिति को सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराए ताकि वह अदालत के निर्देश का अनुपालन कर सके। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गठित समिति और एसआईटी (विशेष जांच दल) को 15 मई को अगली सुनवाई पर अपनी-अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
मानवाधिकार आयोग की टीम पहुंची
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का एक दल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में शुक्रवार को उन लोगों से मिलने पहुंचा जिन्होंने मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों से भागकर शरणार्थी शिविरों में शरण ली है। एनएचआरसी ने हाल में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया। आयोग ने मंगलवार को कहा कि उसने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए घटनाओं की जांच के लिए एक दल भेजने का फैसला किया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा और कथित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में एक औपचारिक शिकायत मिलने के बाद यह कार्रवाई की है। अधिकारियों ने बताया कि मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में हुई हिंसक झड़पों के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। कई लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भाग गए और उन्होंने पड़ोसी मालदा जिले में बनाए गए शिविरों में शरण ली। यह हिंसा केंद्र सरकार द्वारा हाल में वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के खिलाफ व्यापक विरोध के बीच हुई। एनएचआरसी ने निर्देश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर एक विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश की जाए।