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CM Rekha Gupta: केजरीवाल सरकार के एक और काम पर लटकी तलवार!

CM Rekha Gupta: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के एसएमसी फंड पर जांच की तलवार लटक गई है। सीएम रेखा गुप्ता इसके लिए जांच समिति गठित करने पर विचार कर रही हैं। इस मामले में जल्द ही ठोस निर्णय लिया जा सकता है।

CM Rekha Gupta: राजधानी दिल्ली में नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही बड़े बदलावों की शुरुआत कर दी है। अब रेखा गुप्ता सरकार की नजर सीधे स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (SMC) फंड पर है। जिसे अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के दौरान शिक्षा व्यवस्था में बेहतरी लाने के लिए अलग बजटीय प्रावधान के तहत संचालित किया जाता था। शिक्षा निदेशालय के सूत्रों की मानें तो दिल्ली की नवनिर्वाचित रेखा गुप्ता सरकार यह पता लगा रही है कि आम आदमी पार्टी की सरकार में SMC फंड का उपयोग सही तरीके से हुआ या नहीं?
सीएम रेखा गुप्ता इसके लिए एक जांच कमेटी गठित करने पर विचार कर रही हैं। यह कमेटी फंड के दुरुपयोग और सदुपयोग की स्पष्ट जानकारी देगी। इसके साथ ही किन स्कूलों में कितना पैसा खर्च किया गया। कमेटी इसपर अपनी रिपोर्ट सीएम रेखा गुप्ता को सौंपेगी। इसके अलावा रेखा सरकार की ओर से विस्तृत व्यय रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षा के नाम पर खर्च हुआ प्रत्येक रुपया पारदर्शी तरीके से उपयोग हुआ या नहीं? सीएम रेखा गुप्ता के इस एक्‍शन से शिक्षा विभाग में खलबली मची है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में लापरवाही या भ्रष्टाचार मिलने पर अधिकारियों पर भी एक्‍शन हो सकता है।

स्कूलों को रखरखाव के लिए मिलता है फंड

शिक्षा विभाग के अनुसार आम आदमी पार्टी की सरकार में बनाए गए नियमों के तहत स्कूलों को मिलने वाले इस फंड का 50% हिस्सा स्कूल भवन के रखरखाव जैसे कार्यों पर और बाकी 50% हिस्सा स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (SMC) की सिफारिशों पर खर्च किया जाता है। यानी अगर किसी स्कूल में 1500 तक छात्र हैं तो एसएमसी को 5 लाख रुपये सालाना दिए जाते हैं। वहीं 1501 से 2500 छात्रों वाले स्कूलों को 6 लाख रुपये और 2500 से अधिक छात्र संख्या होने पर 7 लाख रुपये सालाना फंड देना अरविंद केजरीवाल की सरकार ने शुरू किया था।

भाजपा सरकार स्कूल फंड में कर सकती है बड़ा बदलाव

शिक्षा निदेशालय के सूत्रों के अनुसार भाजपा सरकार मौजूदा स्कूल फंड को या तो समाप्त कर सकती है या उसमें बदलाव करते हुए इसे नए स्वरूप में दोबारा लागू कर सकती है। इसके विकल्प के रूप में स्कूलों को अन्य प्रकार के फंड दिए जाने की योजना पर भी विचार हो रहा है। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एचटी को बताया कि इस मुद्दे पर विभाग में दो से तीन बैठकें हो चुकी हैं और जल्द ही कोई ठोस निर्णय लिया जा सकता है।

सीएम रेखा ने दिए प्रारंभिक आंकड़े जुटाने के निर्देश

उन्होंने बताया कि अधिकारियों को प्रारंभिक आंकड़े जुटाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। अधिकारी ने यह भी माना कि कई बार स्कूलों को उनकी वास्तविक ज़रूरत या क्षमता के अनुसार पर्याप्त फंड नहीं मिल पाता था, और इस पर कोई निगरानी या जांच नहीं होती थी। SMC फंड का उद्देश्य स्कूलों में माता-पिता, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय को शामिल कर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत बनाना था।

आम आदमी पार्टी की सरकार ने क्यों शुरू किया था फंड?

AAP सरकार के कार्यकाल में इस फंड से स्कूल स्तर पर मरम्मत कार्य, साफ-सफाई, छोटे शैक्षणिक आयोजन और विद्यार्थियों की मूलभूत आवश्यकताओं पर खर्च किया जाता था। लेकिन अब जब शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव हो रहे हैं और केंद्रित योजनाएं दोबारा तैयार की जा रही हैं, तो SMC फंड की भविष्यवाणी अनिश्चित हो गई है। क्या यह फंड आगे भी जारी रहेगा या फिर इसकी जगह कोई नई व्यवस्था लाई जाएगी, इस पर स्पष्टता आने वाले हफ्तों में मिलेगी।

रेखा सरकार ने की तीन पाठ्यक्रम बदलने की घोषणा

शिक्षा निदेशालय के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने पिछले डेढ़ महीने में स्कूलों के तीन प्रमुख पाठ्यक्रमों में बदलाव की घोषणा की है। इसके तहत आम आदमी पार्टी की सरकार में चलाए जा रहे देशभक्ति पाठ्यक्रम को हटाकर अब ‘राष्ट्रनीति’ पाठ्यक्रम लाया जा रहा है। जबकि हैप्पीनेस करिकुलम की जगह अब ‘साइंस ऑफ लिविंग’ नामक नया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। वहीं उद्यमी माइंडसेट करिकुलम को परिवर्तित कर अब ‘उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र और विजन का नया युग (NEEEV)’ लागू किया जाएगा। रेखा गुप्ता सरकार का कहना है कि इन परिवर्तनों के साथ सरकार का उद्देश्य छात्रों को व्यवहारिक जीवन, राष्ट्र निर्माण और नवाचार की दिशा में प्रेरित करना है।

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