शिक्षक भर्ती में ST-SC को 65% आरक्षण को चुनौती : हाई कोर्ट ने शासन से मांगा जवाब, भर्ती को किया बाधित

बिलासपुर। प्रदेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विवाद एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण देने के विज्ञापन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर शासन को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और भर्तियों को फैसले से बाधित किया है।

50% से अधिक आरक्षण केवल ST-SC को

इस मामले में कामेश्वर कुमार यादव, योगेंद्र वर्मा सहित अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य शासन ने हाल ही में टी संवर्ग के 4659 तथा ई संवर्ग के 1113 पदों पर शिक्षकों की भर्ती करने के लिए विज्ञापन जारी किया है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा नियम 1994 में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई है। इसके तहत अनुसूचित जाति को 16 और अनुसूचित जनजाति को 20 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है। जबकि शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण का प्रवचन करते हुए विज्ञापन जारी किया गया है।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को लेकर दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए पदों पर भर्ती के लिए आरक्षण की सीमा सन् 2011 की अधिसूचना के अनुसार 58 प्रतिशत निर्धारित किया था। पर इस विज्ञापन में सरकार ने उक्त आदेश का भी पालन नहीं किया है।

जस्टिस पी सैम कोशी‌ की बेंच में प्रारंभिक सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि बैकलॉग पदों पर भर्ती के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज की और नियमों का हवाला देते हुए कहा कि विज्ञापन में बैकलॉग पदों को अधिसूचित करना आवश्यक है। बिना किसी विवरण के राज्य शासन आरक्षण के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकता।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अदालती आदेश तक बाधित किया है।

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