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Hareli 2024 : छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार हरेली, किसान करेंगे अपने औजारों की पूजा

Hareli 2024 :

Hareli 2024 : कल 4 अगस्त को हरेली है, इस मौके पर किसान अपने कृषि उपकरणों (औजारों) की पूजा-अर्चना करेंगे।

Hareli 2024 रायपुर। राजधानी समेत पूरे प्रदेश हरियाली अमवस्या है। कल 4 अगस्त को हरेली है,इस मौके पर किसान अपने कृषि उपकरणों (औजारों) की पूजा-अर्चना करेंगे। तो वही गांव-गांव विविध खेल गेड़ी,डंडा, भौंरा,बांटी खेला जाएगा। नारियल फेक स्पर्धा होती है। साथ ही संस्कृति कार्यक्रम होंगे। मुख्यमंत्री निवास में परंपरागत तरीके से साज-सजावट की जा रही है जहां दिन भर कार्यक्रम चलेगा।

छत्तीसगढ़ में सावन मास के मध्य हरेली त्यौहार पड़ता है। कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर हरेली मनाया जाता है। राज्य में इसके साथ ही इस वर्ष के पर्व- त्यौहार शुरू हो जाते हैं।

हरेली पर गांव-गांव में प्रत्येक घर में कृषि उपकरणों (औजारों) को धोकर-साफकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। उपकरणों के समक्ष भोग स्वरूप हलवा,ठेठरी,खुरमी आदि चढ़ाया जाता है। इस दिन किसान का परिवार खेत में नही जाता ना ही खेत में किसी प्रकार की जुताई,निंदाई होती है। हरेली पर घर-घर नीम के पत्ते दरवाजों पर लगाते हैं। मान्यता है कि इससे अनिष्टकारी कथित ताकतें घर के अंदर नही आ पाती। वाहनों में भी नीम के पत्ते लगते हैं।

छत्तीसगढ़ी व्यंजन घर-घर बनता है जैसे ठेठरी, खुरमी, चावल के आटे से (चीला,फरा) भी बनाते हैं। गेड़ी चढ़ने की भी परम्परा है। बांस की गेड़ी बनाकर बच्चे, युवा, प्रौढ़ चढ़ते हैं और स्पर्धा भी होती है। यह सभी कार्यक्रम शहरों में भी होते है खासकर वह वर्ग जिसका गांव में खेत-खलिहान है, वह जरूर त्यौहार मानता है। ज्यादातर महिला-पुरुष हरे रंग के कपड़ा पहनते हैं। महिलाएं हरित सिंगर करेंगी। हरेली पर भौंरा,डंडा, पियरंगी, बांटी आदि खेल होता है। इस मौके पर दोपहर-शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में करमा,राउत नाचा एवं लोकनृत्य और लोकगीत गाते है।

हरेली पर पशुधन गाय, बैल की भी पूजा-अर्चना कर उन्हें बीमारी से बचाने बगरंडा नमक खिलाते हैं। बहरहाल तमाम गांवों-शहरों में कल 4 अगस्त को सुबह से कार्यक्रम शुरू हो जाएगा।

इधर राजधानी स्थित मुख्यमंत्री आवास में इस मौके पर साज-सजावट की गई है। कृषि उपकरणों (औजारों) की सीएम विष्णु देव साय पूजा-अर्चना करेंगे। गेड़ी की भी पूजा होगी। लोकगीत-नृत्य होगा। छत्तीसगढ़ की सांस्कृति विविधता की झलक दिखेगी। करमा,राउत नाचा भी रखा गया है। डंडा ,भौंरा बांटी, गेड़ी आदि खेल होगा। मुख्यमंत्री जो खुद किसान है वह अपना अनुभव राज्य के लोगों से सांझा करेंगे। उन्होंने एक संदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ माँ (धरती) ने हमें अमूल्य संसाधन दिए हैं। धरती माता का शृंगार करने एक पेड़ (पौधा) जरूर लगाए। प्रदेश भर में पौधारोपण होगा।

(लेखक डा. विजय )

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