UP Name Plate Row: Supreme Court के फैसले के बाद दुकानों से उतारे गए नेमप्लेट

UP Name Plate Row: मुजफ्फरनगर। खाद्य पदार्थ की दुकानों पर नाम प्रदर्शित करने के मामले में सुप्रीमकोर्ट की अंतरिम रोक का असर कांवड़ मार्ग पर देखने को मिला। अधिकतर दुकानदारों ने नाम वाले फ्लैक्स उतार दिए हैं।
UP Name Plate Row: मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की दुकानों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नाम वाले बोर्ड दुकानदारों ने हटाने शुरू कर दिये हैं। कांवड यात्रा रूट पर अब दुकानदारों को अपनी पहचान बताना जरूरी नहीं है। प्रदेश सरकार के आदेश पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी, जिसके बाद मुजफ्फरनगर के ज्यादातर दुकानदारों ने बोर्ड पर लिखे नाम हटा दिये हैं। दुकानदारों का कहना है कि सरकार के आदेश के बाद उन्हें भेदभाव महसूस हो रहा था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राहत मिली है।
उल्लेखनीय है कि विगत 15 जुलाई को मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने अपने एक आदेश में कहा था कि कांवड यात्रा मार्ग पर सभी दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम व दुकान का नाम लिखना जरूरी है। इस फैसले को लेकर काफी बवाल हुआ और विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया था। औवेसी से लेकर अखिलेश यादव तक सभी विपक्षी नेताओं ने इस आदेश को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद 19 जुलाई को यूपी के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिलों में अधिकारियों को इस आदेश को लागू करने के निर्देश दिये थे। तत्पश्चात एडीजी डी के ठाकुर व डीआईजी अजय साहनी ने भी पुलिस को निर्देश दिये थे कि कांवड यात्रा मार्ग पर सख्ती से इस आदेश को लागू करा जाये। इसके बाद दुकानदारों ने अपनी दुकान का नाम व अपना नाम लिखकर बोर्ड टांग दिये थे।
विशेषकर मुस्लिम समुदाय में इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी थी। कांवड यात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट, चाय व फलों की दुकानें ऐसी थी, जिनके नाम हिन्दू थे, लेकिन उन्हें मुस्लिम संचालित कर रहे थे। यह मामला लगातार तूल पकड़ रहा था, जिस पर बीते दिवस टीएमसी सांसद महुआ मोईत्रा व एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आज दो जजों की बैंच ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को पलटते हुए कहा कि दुकानों पर नाम व दुकानदार का नाम लिखना जरूरी नहीं है। उन्होंने तत्काल यूपी सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी।
जैसे ही मुजफ्फरनगर के दुकानदारों को इस आदेश की जानकारी हुई तो उन्होंने अपनी दुकानों के सामने से नाम लिखे बोर्ड व फ्लैक्स हटा दिये। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने दुकानदारों के पक्ष में आदेश देते हुए कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानि शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं, लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
पुलिस पर भी कोर्ट ने टिप्पणी की है कि पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। पुलिस को ऐसा नहीं करना चाहिए था। यूपी सरकार के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाली एनजीओ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स व टीएमसी सांसद महुआ मोईत्रा ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है। कोर्ट के आदेश के बाद मुजफ्फरनगर में ज्यादातर फल, सब्जी, मिठाई व चाय की दुकानों के बाहर से बोर्ड हटा दिये गये हैं। दुकानदारों ने कहा कि अब उन्हें राहत महसूस हुई और बंधन से मुक्ति मिली है।