Sat. Jul 5th, 2025

आज नहीं तो कल, लोकल आरक्षण देकर रहेंगे; प्राइवेट नौकरियों में कोटा पर अड़ी कर्नाटक सरकार

Karnataka Reservation Bill: कर्नाटक सरकार के मंत्री मंत्री प्रियंक खड़गे ने कहा है कि प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण को लेकर राज्य सरकार का रुख स्पष्ट है। इसे आज ना तो कल लागू किया जाएगा।

Karnataka Reservation Bill: कर्नाटक सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण से जुड़ा बिल वापस ले लिया है। इस मुद्दे पर जमकर विवाद हुआ। कई जानी-मानी इंडस्ट्री ने कर्नाटक से वापस जाने की धमकी दे डाली। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने कहा है कि भले ही वह अभी इस आरक्षण को लागू नहीं कर रही है लेकिन इसे लेकर सरकार का रुख स्पष्ट है। सिद्धारमैया सरकार के मंत्री प्रियंक खड़गे ने कहा है कि चाहे आज हो या कल लेकिन यह आरक्षण लागू होकर रहेगा। प्रियंक खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में आईटी मंत्री हैं।

‘इंडस्ट्री के लोगों से जानेंगे उनकी राय’
प्रियंक खड़गे ने कहा, ‘फिलहाल इंडस्ट्रियलिस्ट के बीच थोड़ी भ्रम की स्थिति है। इसलिए प्रस्ताव को अभी के लिए रोका गया है। हम उद्योग जगत के लोगों से बात करेंगे। उसके बाद ही फैसला लिया जाएगा। राज्य के लोगों का स्थानीय नौकरियों पर पहला हक है। खड़गे ने कहा कि सभी मंत्रालयों से बात की जाएगी। सबसे राय लेने के बाद फैसला लिया जाएगा। खड़गे ने कहा, ‘सब कुछ कानून के अनुसार होगा। नहीं तो इसे चुनौती दी जाएगी। हरियाणा का उदाहरण देखें। उन्होंने भी ऐसा कानून बनाया था। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। हम ऐसा कुछ नहीं चाहते।’

हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था हरियाणा सरकार का प्रस्ताव
हरियाणा सरकार ने भी ऐसा ही प्रस्ताव लाया था, जिसमें कहा गया था कि 30,000 रुपए तक की नौकरियों में आरक्षण लागू होगा। 75 प्रतिशत ऐसी नौकरियां केवल स्थानीय युवाओं को दी जाएंगी। इस बिल को गवर्नर ने मंजूरी भी दी थी, लेकिन फिर इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस बिल को फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और अन्य संगठनों ने चुनौती दी थी। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तर्क दिया गया कि यह संविधान में दिए गए रोजगार में समानता के अधिकार को छीनता है।

स्थानीय लोगों को आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ
इस बिल को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह कौशल आधारित नौकरियों में समस्याएं पैदा करेगा और गैर-कुशल लोगों को भी रोजगार देना पड़ेगा। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अहम पदों के लिए पूरे देश से आवेदन करने की आजादी होनी चाहिए। कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी राज्य यह देखकर नौकरियों में भेदभाव नहीं कर सकता कि व्यक्ति किसी विशेष राज्य का है या नहीं। ऐसा करना पूरी तरह से असंवैधानिक है।

About The Author