Chhattisgarh News: CG के कालेज में अब रामचरित मानस के बाद श्रीमद्भागवत गीता की होगी पढ़ाई, जीवन जीने की सही कला सीख पाएंगे बच्चे

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय (ओयू) के छात्र स्नातक में वैकल्पिक विषय के तौर पर श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई करेंगे।
Chhattisgarh News रायपुर। छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में ऐसा पहली बार हो रहा है जब पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय (ओयू) के छात्र स्नातक में वैकल्पिक विषय के तौर पर श्रीमद्भगवद्गीता की पढ़ाई करेंगे। श्रीमद्भगवद्गीता हिंदुओं का सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है और हर कोई गीता में बताए गए मार्ग पर चलना चाहता है। जिससे बच्चों को जीवन का आधार सीखने में श्रीमद्भागवत गीता अहम भूमिका निभाएगी। समाज में लोग जीवन के अंतिम क्षणों में इसका पाठ करते हैं, लेकिन अब अगर बच्चे ग्रेजुएशन में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ेंगे तो वे जीवन जीने की सही कला सीख सकेंगे।
कुलपति डॉ. बंशगोपाल सिंह ने बताया कि मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा एक बड़ी पहल की गई है जिसके तहत स्नातक में वैकल्पिक विषय के रूप में पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव है। पाठ्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। पाठ्यक्रम के लिए विशेषज्ञ लगे हुए हैं। अगले सत्र से स्नातक के छात्र इस विषय का अध्ययन कर सकेंगे।
इस विषय को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आने वाली पीढ़ी और युवा श्रीमद्भागवत गीता के बारे में जान सकें और इसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में लागू करके एक अच्छे व्यक्तित्व का विकास कर सकें और समाज में एक अच्छे इंसान बन सकें। विवि का मानना है कि इससे जहां युवाओं में गीता में बताए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरणा मिलेगी तो वहीं आने वाले समय में रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके अलावा आयुर्वेद के मूल आधार को लेकर भी नया कोर्स शुरू किया जाएगा।
पिछले 5 सालों में 124 छात्रों ने इसमें प्रवेश लिया है। इस एक वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। मुक्त विश्वविद्यालय पिछले 5 सालों से एक नए पाठ्यक्रम की पुस्तकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से रामचरितमानस के अध्यायों को पढ़ा रहा है।चौपाइयों में वर्णित रावण का पुष्पक विमान हो या राम सेतु का पत्थर या राम रावण युद्ध में प्रयुक्त बाण या आकाशवाणी, इन सभी बातों को विश्वविद्यालय के इस डिप्लोमा कोर्स में अलग-अलग विषयों की पुस्तकों के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है कि सनातन धर्म रामचरितमानस विज्ञान पर आधारित है।
इस विषय को शुरू करने का उद्देश्य समाज की संकीर्णता को दूर करना और धार्मिक पुस्तकों को पढ़कर उनमें छिपे विज्ञान को सामने लाकर व्यावहारिक सामाजिक परिवर्तन लाना है। क्योंकि कुछ चीजें हैं, जो सामाजिक सद्भाव के खिलाफ हैं, जो समाज को जाति समूहों में विभाजित करके धार्मिक जीवन शैली में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। कोई भी व्यक्ति जिसने 12वीं पास कर ली है, वह इसे कर सकता है। इसमें दाखिला लेने वाले छात्रों की फीस 3 हजार 600 रुपए है। कोर्स का पूरा फोकस छात्रों के सामने रामचरित मानस को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करना है।