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Pradosh Vrat 2024: आज बुध प्रदोष व्रत, जीवन में सुख-समृद्धि के लिए करें भगवान शिव की आराधना

Pradosh Vrat 2024:

Pradosh Vrat 2024: हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल यानी शाम के समय पूजा की जाती है।

Pradosh Vrat 2024 रायपुर। आप सभी जानते ही हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल यानी शाम के समय पूजा की जाती है। यहां समझने वाली बात यह है कि आज सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर द्वादशी तिथि समाप्त हो गई, उसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो गई जो कल सुबह 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। यानी आज त्रयोदशी तिथि पर ही प्रदोष काल पड़ रहा है। इसलिए आज ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

बुध प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 03 जुलाई सुबह 07 बजकर 10 मिनट से
प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 07 बजकर 30 मिनट से रात्रि 09 बजकर 30 मिनट तक
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त: 04 जुलाई सुबह 05 बजकर 55 मिनट तक

प्रदोष व्रत पूजन विधि

आज बुधवार है और बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति त्रयोदशी की रात्रि के प्रथम प्रहर में शिव प्रतिमा के समक्ष प्रसाद चढ़ाकर दर्शन करता है, उसके समस्त समस्याओं का हल निकलता है। इस दिन व्रती को नित्यकर्मों से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास करना चाहिए। पूरे दिन उपवास के बाद शाम के प्रथम प्रहर में फिर से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए और ईशान कोण में प्रदोष व्रत की पूजा के लिये स्थान का चुनाव करना चाहिए।

पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करने के बाद उसे गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए। इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाएं या आप चाहें तो बाजार से कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी खरीद सकते हैं। साथ में भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर भी रखिए। इस तरह मंडप तैयार करने के बाद पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर कुश के आसन पर बैठकर, उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की पूजा करें। पूजा के एक-एक उपचार के बाद- “ऊँ नम शिवाय” का जप करें। जैसे पुष्प अर्पित करें और “ऊँ नमः शिवाय” कहें, फल अर्पित करें और “ऊँ नमः शिवाय” जपें।

भक्त प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर निवृत्त होने के पश्चात स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव का स्मरण करते हैं और व्रत का संकल्प करते हैं। शाम के समय भोलेनाथ पर गंगाजल अर्पित किया जाता है। भोलेनाथ के समक्ष फूल और अक्षत चढ़ाते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। अब भोग में मालपुआ, सफेद बर्फी, सूजा का हलवा या खीर आदि महादेव को चढ़ाया जाता है। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की पूजा भी की जाती है।

आज शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। अगर परिवार में झगड़े होते रहते हैं तो प्रदोष व्रत के दिन गंगा जल में बेलपत्र डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। शिव की जलधारा से थोड़ा जल लेकर घर के हर कोने में छिड़कें, इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।

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