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National Doctor’s Day 2024: सरजमीं का कर्ज अदा करने लाखों का पैकेज ठुकराया, बस्तर के रियल हीरो

National Doctor’s Day 2024:

National Doctor’s Day 2024: डॉक्टर दिवस अवसर पर बस्तर के चुनिंदा डॉक्टर्स वास्त्वों में असल हीरो की कहानी, उन्हीं की जुबानी।

National Doctor’s Day 2024 रायपुर।  आज 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे है यानी चिकित्सा दिवस। चिकित्सक का पेशा बहुत सम्मानीय होता है। आज की तिथि में महानगरों समेत बड़े, मंझोले शहरों के बड़े अस्पताल भी चिकित्सकों को अच्छा खासा वेतनमान देते हैं। इतना ही नही पिछड़े इलाकों में सरकार भी चिकित्सकों को शहरों की अपेक्षा थोड़ा ज्यादा वेतन देती है। ऐसे में जब पूछ-परख अच्छी हो तब अगर कुछ चिकित्सक अपनी माटी या मिट्टी का कर्ज अदा करने महानगरों से लाखों का पैकेज ठुकरा घर( जन्मभूमि) लौट आते हैं। डॉक्टर दिवस अवसर पर बस्तर के चुनिंदा डॉक्टर्स वास्त्वों में असल हीरो की कहानी, उन्हीं की जुबानी।

डॉक्टर नवीन दुल्हानी

बस्तर में शिशु रोग विशेषज्ञ जेडी दुल्हानी वर्षो से सेवा दे रहे हैं। उनके सुपुत्र डॉक्टर नवीन दुल्हानी भी एमडी है, जो दिल्ली स्थित जीटीबी और अपोलो जैसे अस्पताल में सेवा देने के बाद एक दिन पिता का फोन आया। पढ़ाई हो गई पूरी और बाहर घुमने का शौक पुरा हो गया हो तो अब बस्तर वापस आ जाओ। नवीन ने पूछा वहां (बस्तर) क्या करूंगा। पिताजी ने कहा कि यहां की मिट्टी ने इतना काबिल बनाया है उनका हम पर कर्ज है अब उस कर्ज को पूरा करने के लिए यहां बस्तर सेवा देनी होगी। डॉक्टर नवीन दुल्हानी पिता की इस बात ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया। इसके फौरन बाद बस्तर पहुंचा और ज्वाइन किया। सेवा देने के बाद वाकई समझ में आ गया की पिता जी सही कह रहे थे।

डॉक्टर वंजा ठाकुर

डॉक्टर वंजा ठाकुर एमडी बताती है कि पिता वीरेंद्र ठाकुर, चाचा विजय ठाकुर बस्तर शहर में लंबे अरसे चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। दोनों चिकित्सक हैं। उन्हें देख हम दोनों बहनों के मन में भी चिकित्सक बनने की कामना जागी। बचपन में कई बार देखा था, जब गरीब ग्रामीण पिता से इलाज कराने आते पिता फ़ीस नहीं लेते थे। तो वे (ग्रामीण) उन्हें (पिता,चाचा) भगवान सदृश्य सम्मान देते थे। लिहाजा, चिकित्सा की पढ़ाई के दौरान तय कर लिया था कि बस्तर में सेवा देनी है।

डॉक्टर इश्वा फातिमा

डॉक्टर इश्वा फातिमा बस्तर में मेडिकल अधिकारी है। उनका परिवार लंबे समय से बस्तर में है। ऐसे में परिवार के अंदर चर्चा होती कि जिंदगी में जो कुछ करो यहां बस्तर के लोगों की सेवा जरूर करें। इश्वा फातिमा पढ़ाई पूरी कर बस्तर सेवा देने आ गई। फिर निकाह हो गया डॉक्टर शमीम शौकत भी एमबीबीएस है। निकाह बाद उन्होंने पति ( शौहर) को बस्तर से लगाव के संबंध में चर्चा की तो उन्होंने भी ग्रामीण इलाके बस्तर में सेवा देना शुरू कर दिया साथ रहने लगे। बहरहाल यह एक बानगी है -पर बस्तर परिक्षेत्र के ये होनहार सच अपनी सरजमीं को सेवा दे रहे है, तो देखकर गर्व होता है। साथी आंखें गीली वजह आज की तिथि में कितने लोग होंगे, जो लाखों का पैकेज छोड़ अभाव के साथ ही जन्मभूमि की सेवा करते है।

(लेखक डा. विजय)

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