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Narasimha Jayanti 2024: जानिए क्यों लिया था भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार, ऐसी हैं मान्यताएं

Narasimha Jayanti 2024:

Narasimha Jayanti 2024: हिंदू धर्म में हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। नरसिंह जयंती के दिन हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिम्हा की पूजा करते हैं।

Narasimha Jayanti 2024 रायपुर। हिंदू धर्म में हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। नरसिंह जयंती के दिन हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिम्हा की पूजा करते हैं। इस वर्ष नरसिम्हा जयंती आज, मंगलवार, 25 मई को है। हिंदू धर्म में नरसिम्हा जयंती का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु का नरसिम्हा अवतार इस बात का प्रतीक है कि जब भी किसी भक्त पर कोई संकट आता है, तो भगवान स्वयं उसकी रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर उसे सुरक्षा प्रदान की। नृसिंह जयंती के दिन भगवान विष्णु के अवतार नृसिंह की पूजा करने से व्यक्ति को अभय की प्राप्ति होती है। आइये जानते हैं नरसिम्हा अवतार के बारे में।

जब-जब पृथ्वी पर राक्षसों और बुरी शक्तियों ने मानवता पर अत्याचार किए, तब-तब भगवान विष्णु ने नया अवतार लिया और बुरी शक्तियों का नाश किया। भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं। हिरण्यकश्यप जैसे राक्षस को मारने के लिए उन्हें आधे मनुष्य और आधे शेर के रूप में अवतार लेना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था।मैं न तो मनुष्य के हाथों मारा जाऊं, न देवता, न दानव, न दिन में मरूं, न रात में, न आकाश में, न पाताल में, इसलिए इस वरदान के लिए भगवान को नृसिंह अवतार लेना पड़ा। जिस दिन भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था उस दिन वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी थी।

जब भक्त प्रह्लाद पर हिरण्यकश्यप के अत्याचार सारी हदें पार कर गए, तब भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया। हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त होने के कारण ही भगवान ने उसका वध कर दिया। भगवान नरसिम्हा ने दिन और रात के बीच के समय में नरसिम्हा का रूप धारण किया, आधा मनुष्य और आधा शेर का रूप धारण किया। भगवान नृसिंह ने खंभे को फाड़कर अवतार लिया और मुख्य द्वार के मध्य में हिरण्यकश्यप को अपने चरणों में लिटाया और सिंह के समान अपने तेज नाखूनों से उसका पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इस प्रकार उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। उन्होंने आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को उनका व्रत करेगा, वह सभी प्रकार के दुखों से दूर रहेगा।

मान्‍यओं के अनुसार बिहार के पूर्णिया जिले में वह मंदिर है, जहां पर माना जाता है नृसिंह भगवान का अवतार हुआ था। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां वह स्‍तंभ आज भी मौजूद है जिसमें से नृसिंह भगवान प्रकट हुए थे। ऐसी मान्‍यता है कि बनमनखी के सिकलीगढ़ धरहरा में भगवान नृसिंह ने अवतार लेकर राक्षस राज हिरण्यकश्यप का वध किया था। यही वह स्‍थान है जहां पर नृसिंह भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप को अपने नाखूनों से चीर दिया था।

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