आवेदकों का आरोप, बिल्डर नहीं कर रहे रेरा के आदेशों का पालन
Raipur News: आवेदकों का आरोप है कि ;रेरा’ द्वारा जारी आदेश बिल्डर नही मान रहेन हैं। उनके (आवेदकों) पक्ष में फैसला रेरा करता भी है, तो भी न्याय नही मिल पा रहा है और अपना घर की चाह में लोग कर्ज या बैंकों से लोन लेकर बिल्डरों का पैसा देते हैं।
Raipur News रायपुर। ‘रेरा’ की स्थापना जिन उद्देश्यों को लेकर की गई थी। वही पूरी नहीं हो रही है। इसलिए ‘रेरा’ के आदेशों को दरकिनार करने का दुःसाहस बिल्डर दिखा रहे हैं। आखिरकार सफर शिकायतकर्ता कर रहा है।
आवेदकों का आरोप है कि ;रेरा’ द्वारा जारी आदेश बिल्डर नही मान रहें हैं। उनके (आवेदकों) पक्ष में फैसला रेरा करता भी है, तो भी न्याय नही मिल पा रहा है और अपना घर की चाह में लोग कर्ज या बैंकों से लोन लेकर बिल्डरों का पैसा देते हैं। परंतु बिल्डर अक्सर समय पर घर बनाकर नही देते। आवेदकों का सीधा आरोप है कि रेराके आदेशों को दरकिनार कर राजधानी समेत प्रदेश के बिल्डर मनमर्जी चला रहें हैं।
बताया जा रहा है कि 2700 मामलों में से 1950 से ज्यादा में रेरा ने बिल्डरों के विरुध्द आदेश पारित किया। जिससे लगा कि शायद अब न्याय मिल जाएगा। परंतु ऐसा कुछ नही हुआ। आवेदकों की शिकायत है कि रेरा में काम रेरा के आदेश अनुरूप समय पर पूरा करने का शपथ पत्र देने वाले बिल्डर नजरअंदाज कर रहे हैं। डूंडा के किंग्सटाउन प्रोजेक्ट, लालपुर में समता परिसर में घर बनाने का बिल्डर से समझौता करने वाले ग्राहक भी परेशान है।
आवेदकों का आरोप है कि रेरा में मामला पंजीकृत होने के बाद, दोनों पक्षों की सुनवाई होती है, जिसके बाद फैसला दिया जाता है। कई बार रेरा निर्माण एजेंसियों से बिल्डरों के प्रोजेक्ट की जांच का निर्देश जारी करता है। पर आवेदकों का आरोप है कि इन सबमें अत्यधिक वक्त(लंबा) लगता है, जो आवेदक को निराश करता है। उधर रेरा के अधिकारी का कहना है कि रेरा अपने फैसले के बाद, निर्णय को पूरा करने के लिए, एक समय निर्धारित करता है। अगर निर्धारित अवधि में (फैसले के बाद) कार्य बिल्डर पूरा नही करता तो आवेदक पुनः आवेदन कर सकता है। तब बिल्डर पर जुर्माना, कार्रवाई का प्रावधान है पर आवेदकों का कहना और आरोप है कि पुनः आवेदन करने पर कार्रवाई, जुर्माना नही किया जाता। तथा बिल्डर को फैसले के वक्त लंबा समय दिया जाता है। रेरा के स्थापित होने से न्याय नहीं मिल पा रहा है।

