Shrikant Movie Review : दृष्टिहीन ‘श्रीकांत’ की बायोपिक में छाये राजकुमार, फिल्म देख लोगों को मिलेगी प्रेरणा

Shrikant Movie Review : हालही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘श्रीकांत’ के किरदार में बॉलीवुड अभिनेता राजकुमार राव ने पूरी तरह खुद को झोंक दिया है। इस फील को देखकर लोगों को काफी प्रेरणा मिलने वाली है।
Shrikant Movie Review : मुंबई : राजुकमार राव की इस साल की सबसे चर्चित फिल्म ‘श्रीकांत’ जो कि इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म का ट्रेलर जबसे रीलीज़ हुआ है तब से फैंस इस फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार करते नज़र आ रहे थे और आज ये फिल्म रीलीज़ हो भी चुकी है। बता दें कि ये फिल्म एक दृष्टिहीन बिज़नेस मैन श्रीकांत बोला के ऊपर आधारित है। जिन्होंने बोलैंट इंडस्ट्री की स्थापना की थी। फिल्म में राजकुमार राव की एक्टिंग के लिए उनकी काफी तारीफ की जा रही है। क्यूंकि एक्टर ने इस फिल्म के लिए खुद को पूरी तरह झोंक दिया है। फिल्म की कहानी से पता चलता है कि देखने वालों को इस फिल्म से काफी प्रेरणा मिलने वाली है।
राजकुमार ने श्रीकांत के किरदार पर काफी मेहनत की है, जो पर्दे पर नजर भी आ रही है। अलाया एफ ने फिल्म में श्रीकांत की लव इंटरेस्ट और अब पत्नी स्वाति का रोल प्ले किया है। यह फिल्म एक खास संदेश देती है कि किसी को भी अपनी उपलब्धियों को महानता मानकर नहीं चलना चाहिए। आप कितने भी ऊपर उठ जाएं, आपका जुड़ाव अपनी जमीन के साथ होना चाहिए, श्रीकांत फिल्म में शरद केलकर श्रीकांत के बिजनेस पार्टनर बने हैं।
कौन हैं श्रीकांत बोला
श्रीकांत बोला दुनिया के सबसे युवा CEO और फाउंडर हैं। श्रीकांत की कंपनी नैचुरल पत्तों और रीसाइकल पेपर से इको फ्रेंडली डिस्पोज़िबल प्रोडक्ट्स बनाती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कंपनी का बिजनेस 500 करोड़ के पार है और खुद श्रीकांत की नेट वर्थ 50 करोड़ के करीब है।
क्या है फिल्म की कहानी
13 जुलाई, 1992 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में एक लड़के श्रीकांत (राजकुमार राव) का जन्म होता है। घर में लड़के की किलकारी गूंजती है तो मां-बाप खुशी से फूले नहीं समाते। हालांकि, उन्हें धक्का तब लगता है, जब पता चलता है कि उनका बच्चा जन्मांध है यानी वो देख नहीं सकता। बच्चा देख नहीं सकता, लेकिन मां-बाप उसकी शिक्षा में कोई कमी नहीं करते। दसवीं के बाद श्रीकांत साइंस सब्जेक्ट में एडमिशन लेना चाहता है, लेकिन ब्लाइंड होने की वजह से उसे एडमिशन नहीं मिलता। श्रीकांत अपनी टीचर की मदद से एजुकेशन सिस्टम पर केस कर देता है, इसमें उसे जीत भी मिलती है।
हालांकि, इसके बाद भी श्रीकांत की परेशानियां कम नहीं होतीं। नेत्रहीन होने की वजह से उसे IIT में एडमिशन नहीं मिलता, लेकिन कहते हैं न..जब सपने बड़े हों तो दुनिया की कोई भी ताकत सफल होने से नहीं रोक सकती। श्रीकांत दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में से एक MIT, अमेरिका में अप्लाय करता है, जहां उसका एडमिशन हो जाता है। वहां से लौटने के बाद श्रीकांत की लाइफ में क्या-क्या चुनौतियां आती हैं, कैसे वो खुद का बिजनेस शुरू करता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
श्रीकांत का रिव्यू
हमारे समाज में दिव्यांग जनों को लेकर एक राय है कि वे अपने जिंदगी में कुछ असाधारण कार्य नहीं कर सकते। यह फिल्म इस अवधारणा को बदलती है। फिल्म में श्रीकांत का एक डायलॉग है- हमारे चक्कर में मत फंसना, हम आपको बेच कर खा जाएंगे। इस डायलॉग से श्रीकांत यह बताना चाहते हैं कि नेत्रहीन होने के बावजूद वे किसी से कम नहीं हैं। यह फिल्म आपको इंस्पायर करने वाली है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसके लिए आप थिएटर का रुख बिल्कुल कर सकते हैं।