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NASA : आसमान में होगी अनोखी खगोलीय घटना, नासा के वैज्ञानिकों ने की तारों के बारिश की भविष्यवाणी

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NASA : नासा के मुताबिक उल्कापात दक्षिणी गोलार्ध में साफ नजर आएगा। भूमध्य रेखा के उत्तर में भी यह देखा जा सकता है। उल्काएं ब्रह्मांड के मलबे की धाराओं के कारण बनती है। इन्हें उल्कापिंड कहा जाता है ये बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं।

NASA रायपुर।  इस हफ्ते आसमान में एक के बाद एक टूटेते तारों की आतिशबाजी होने वाली है। यों तो हर साल 19 अप्रैल से 28 मई के बीच उल्काओं की बारिश होती है, लेकिन इस बार के उल्कापात जैसा नजारा दो दशक बाद देखने को मिलेगा।

इस घटना को आंखों से सीधे देखा जा सकता है

अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने बुधवार को बताया कि उल्काओं की बारिश शुरू हो चुकी है। 4 से 6 मई के बीच यह पीक (उत्कर्ष) पर होगी। NASA के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह उल्कापात हैली धूमकेतु से जुड़ा है। इसे ‘एटा एक्वेरिड्स’ कहा जाता है। आसमान में 4 से 6 मई के बीच हर मिनट एक उल्कापात नजर आएगा। उल्काओं की रफ्तार करीब 7 लाख 57हजार 344 किलोमीटर प्रति घंटे रहेगी।आतिशबाजी इतनी चमकीली होगी कि इसे सीधे आंखों से देखा जा सकेगा।

दक्षिणी गोलार्ध में सबसे साफ नजर आएगा

अमेरिकन मीटियोर सोसायटी का कहना है एटा एक्वेरिड्स उल्कापात का पीक टाइम 5 मई की रात 8:43 बजे होगा। इसे 5 और 6 मई की सुबह होने के कुछ घंटे पहले देखा जा सकता है। इसे देखने के लिए बायनॉकुलर्स और टेलीस्कोप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। NASA के मुताबिक उल्कापात दक्षिणी गोलार्ध में साफ नजर आएगा। भूमध्य रेखा के उत्तर में भी यह देखा जा सकता है। उल्काएं ब्रह्मांड के मलबे की धाराओं के कारण बनती है। इन्हें उल्कापिंड कहा जाता है ये बेहद तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं। ज्यादातर उल्काएं रेत के दाने से छोटी होती हैं। इसलिए आसमान में ही नष्ट हो जाती हैं। बेहद दुर्लभ हालत में ही ये पृथ्वी की सतह से टकराती हैं।

(लेखक डा. विजय)

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