Ram Navami 2024: अयोध्या में 500 बरसों बाद रामलला की राजोपचार पूजा, पहुंचे लाखों भक्त

Ram Navami 2024: सुबह 3:30 बजे अर्चक ने ‘उत्तिष्ठ राघवम’ कहकर रामलला को जगाया. चांदी और सोने के रथ, हाथी, घोड़े, अस्त्र-शस्त्र आदि विधि-विधान से रामलला को समर्पित किये गये।
Ram Navami 2024 रायपुर। आज रामनवमी पर अयोध्या में 500 वर्ष बाद बुधवार को वह शुभ अवसर आ गया है, जब नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला का पहला जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। सदियों बाद नवमी को अभिजीत मुहूर्त में श्री रामलला का राजोपचार पूजन पूर्ण विधि -विधान से हुआ।
‘ उत्तिष्ठ राघवम ‘ कहकर रामलला को जगाया गया
बुधवार यानी आज तड़के 3:30 बजे अर्चक ‘ उत्तिष्ठ राघवम ‘ कहकर रामलला को जगाया गया। रामलला को चांदी-सोने का रथ, हाथी, घोड़े, अस्त्र-शस्त्र आदि विधि-विधान पूर्वक समर्पित किया गया। वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के मध्य नृत्य गीत हुआ। इस बीच वेदों-पुराणों और अन्य धर्मग्रंथो का पाठ हो रहा है।
सूर्य की किरणों ने रामलला के माथे का अभिषेक किया
सबसे खास मौका श्री रामलला के सूर्याभिषेक का रहा। दोपहर 12:16 मिनट पर रामलला के माथे पर सूर्य की किरणों ने अभिषेक किया। यह सूर्य तिलक 4 मिनट रहा। इस दौरान भगवान राम के बाल रूप (प्राचीन विग्रह) का पंचामृत से अभिषेक, पूजन और श्रृंगार किया गया। इसके बाद छप्पन भोग लगाया गया। आज अयोध्या में सभी मंदिरों में विभिन्न आयोजन हो रहे हैं।
वैष्णवगम विधि से रामलला की पूजा की गई
दोपहर में भगवान के जन्मोत्सव बाद वेदों में सभी शाखाओं का पाठ सुनाया गया।आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने बताया है कि वैष्णवागम पद्धति से तंत्र पाठ हो रहा है। भगवान रामलला का सोने-चांदी के बर्तनों में भोग लगाया गया। आज करीब 7-8 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना के मददेनजर तड़के 3:30 बजे से लेकर रात 11:00 बजे तक आमजन अपने आराध्य श्री रामलला का दर्शन करेंगे। राजोपचार पूजन में षोडशोपचार के अलावा राजसी वैभव होता है। अपने आराध्य की राजा की तरह छात्र चमर, पादुका, आभूषण, छप्पन भोग आदि राजसी ठाठ-बाठ से पूजा की जाती है।
रामलाल के मस्तक पर माणिक और चंदन का लेप लगा हुआ था
रामनवमी पर श्री राम लला को स्वर्ण आभूषण और रत्न जड़ित पोशाक पहनाया गया। उनके मस्तक पर चंदन का जो लेप लगाया गया, उसमें माणिक्य को पीसकर मिलाया गया। यह इसलिए ताकि रोशनी में प्रभु का मस्तक दमकता रहे। सिर से लेकर पैर के अंगूठे तक सोने और हीरा-पन्ना का आभूषण श्री रामलला को धारण कराया गया है उनके वस्त्रों पर सिलाई- कढ़ाई स्वर्ण धागों से की गई है। जन्मोत्सव पर पांच प्रकार की 50 क्विंटल पंजीरी का भोग लगाया गया, जिसमें सिंघाड़ा, कुट्टू, रामदाने, धनिया, गेहूं आटा मिलाया गया है। पूरे अयोध्या में खासा उत्साह भक्तों के मध्य देखा जा रहा है। जगह-जगह भंडारा की व्यवस्था की गई है। अपने आराध्य का दर्शन रामनवमी पर करके भक्तगण सपरिवार प्रसन्न नजर आ रहे हैं। उनके ठहरने, भोजन की व्यवस्था की गई है।पूरे देश के तमाम प्रांतों समेत विदेशों में भी भक्तजन अयोध्याधाम पहुंचे हुए हैं।