Nirai Mata Mandir: साल में सिर्फ एक बार 5 घंटे के लिए ही खुलता है ये मंदिर, दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

Nirai Mata Mandir: निरई माता मंदिर के बारे में मान्यता है कि देवी हर साल चैत नवरात्रि में इस मंदिर में आती हैं। यहां नवरात्रि के मौके पर ज्योति स्वतः ही प्रज्जवलित होती है।
Nirai Mata Mandir रायपुर। धमतरी जिले के मंगल रोड ब्लॉक मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर एवं राजधानी रायपुर से 109 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ में, सोढ़ुर- पैरी नदी के तट पर विराजमान है। मां निराई का प्रसिद्ध मंदिर जहां दर्शनार्थ जाना चाहे तो इस वर्ष 14 अप्रैल को ही अवसर है, वह भी महज 5 घंटे जहां केवल पुरुष वर्ग के भक्त ही जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं। महिलाओं को प्रवेश वर्जित है।
इस प्रसिद्ध निराई माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में देवी हर साल चैत नवरात्र पर आती हैं। यहां मौके पर नवरात्र पर ज्योति स्वतः ही प्रज्जवलित होती है। लोग (भक्त) इसे दैवीय चमत्कार मानते हैं। जिसे लेकर मां के प्रति अथाह श्रद्धा भाव भक्तों में रहता है। ज्योति स्वतः ही कैसे प्रज्जवलित होते है यह पहेली प्राचीनकाल से वर्तमान तक बनी हुई है। ग्रामीणों के अनुसार यह निराई देवी मां का ही चमत्कार है कि बिना तेल के ज्योति 9 दिन तक जलती रहती है।
इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश या पूजा-अर्चना वर्जित है। यहां केवल पुरुष वर्ग ही पूजा-पाठ की रीतियों को निभाते हैं। इस बरस यह मंदिर 14 अप्रैल को 5 घंटे के लिए खुलेगा। इस दिन जातरा भी होगी। मान्यता है कि मां निराई के दरबार में आकर बलि देने से उनकी (भक्तों) की मुरादें पूरी होती हैं। उक्त दिवस पर मंदिर सुबह 4 से पूर्वान्ह 9 बजे तक 5 घंटे ही खुलेगा। जातरा के दिन गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर, धमतरी, कुरुद, मंगललोड, सिहावा, नवापारा राजिम आदि परिक्षेत्रों के हजारों माता भक्त पहुंचते हैं। निराई माता का दर्शन पवित्र मन से किया जाता है। मान्यता है कि शराब सेवन किया व्यक्ति को मधुमक्खियाें का कोप भजन का शिकार बनना पड़ता है।
इस प्रसिद्ध मंदिर में माता निराई को सिंदूर, सुहाग, शृंगार, कुमकुम, गुलाल, चंदन नही चढ़ाया जाता। केवल नारियल और अगरबत्ती को अर्पित किया जाता है। हर बरस यह मंदिर चैत्र नवरात्र पर पड़ने वाले पहले रविवार को 5 घंटे के लिए खुलता है। इस बार पहला रविवार 14 अप्रैल को पड़ रहा है।