टिकरापारा और पुरानी बस्ती के इलाकों के बोर में मिला बैक्टीरिया, विशेषज्ञों ने जताई चिंता

Raipur News:

Raipur News:

Raipur News : शहर में 2700 बोर पंप, नगर निगम फिल्टर प्लांट और पीएचई प्रयोगशाला में पानी की जांच कराई जाए।

Raipur News रायपुर। नगर निगम द्वारा जांच कराए जाने पर पुरानी बस्ती एवं टिकरापारा की कुछ इलाकों में बोर में बैक्टीरिया मिलने की पुष्टि हो गई है। उधर लगातार बोरवेलों में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मिलने से प्रयोगशाला विशेषज्ञों के कान खड़े हो गए हैं। उनके मध्य चर्चा चल रही है कि यदि जल्द बोर के पानी के उपयोग पर ठोस कदम नही उठाया गया तो शहर में पेट संबंधी बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।

राजधानी में पखवाड़े भर पूर्व लाभांडी इलाके के एक कालोनी में बैक्टीरिया बोर में पाए जाने से 100 से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आए थे। तब हड़कंप मच गया था। जिला प्रशासन ने नगर निगम को तभी शहर के अन्य स्थानों पर बोरवेल के पानी की जांच कराने का आदेश दिया था। उसी क्रम में पुरानी बस्ती के गोपिया पारा इलाके के बोरवेल के पानी में बैक्टीरिया मिलने की पुष्टि प्रयोगशाला से हो गई है इसी तरह टिकरापारा के सोनझरा मोहल्ला, कांशीराम नगर, सामुदायिक भवन स्थित बोरवेल में बैक्टीरिया मिला है। बताया जा रहा है कि लाभांडी केस के उपरांत शहर के अंदर विभिन्न स्थानों पर जांच के बीच 14 बोरवेल में बैक्टीरिया मिल चुका है।

कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए जाने पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है

जिला चिकित्सालय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निलय मोझरकर ने दूषित पानी के कारण फैल रहे डायरिया के खतरे पर कहा कि वैसे तो इसे सामान्य इलाज से 3 दिन में ठीक किया जा सकता है परंतु यदि पेट में इन्फेक्शन अधिक बढ़ा तो डायरिया से खतरा भी बढ़ सकता है। उन्होंने बच्चों के स्वास्थ्य पर जोर देते हुए कहा कि प्रदूषित पानी के उपयोग से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को बचाया जाए। उनका यह भी कहना है कि बैक्टीरिया युक्त पानी 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों के पाचन तंत्र को प्रभावित कर देगा।

इधर नगर निगम के फिल्टर प्लांट की प्रयोगशाला में एक दिन में पानी के 25 सैंपल अलग-अलग की जांच होती है। या हो सकता है शहर में बोरवेलों की संख्या 2 हजार 700 है ऐसी स्थिति में अब लोग स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग( PHE) की प्रयोगशाला में भी सैंपल टेस्ट की मांग उठने लगी है। निगम पार्षदों का कहना है कि समय रहते अगर जानकारी मिल जाती है, तो बोर के पानी पर रोक लगाई जा सकती है। वर्तमान स्थिति में बेहतर होगा कि पानी सैंपल जांच की संख्या बढ़ाई जाए।

(लेखक डा. विजय )

About The Author

© Copyrights 2024. All Rights Reserved by : Eglobalnews