Mukhtar Ansari को दूसरी बार उम्रकैद, फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा
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Mukhtar Ansari को 36 साल पुराने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में कोर्ट ने दोषी करार दिया है। उनको आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
Mukhtar Ansari : लोकसभा चुनाव से पहेल माफिया मुख्तार अंसारी को फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उस पर दो लाख दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना और माफिया मुख्तार अंसारी वर्तमान में बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को सजा सुनाई गई।
पूर्व मुख्य सचिव और डीजीपी ने दी थी गवाही
अभियोजन की तरफ से 10 साक्षियों को अदालत में परीक्षित कराया गया। इसमें प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव व गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक रंजन, प्रदेश के पूर्व डीजीपी और गाजीपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक देवराज नागर, गाजीपुर के पूर्व जिलाधिकारी जगन मैथ्यूज, गाजीपुर का शस्त्र लिपिक श्रीप्रकाश, सीबीसीआईडी के अशफाक अहमद, मूलचंद तिवारी, रामनारायण सिंह, राम शिरोमणि पांडेय व विश्व भूषण सिंह और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक मदन सिंह शामिल हैं।
इन धाराओं के तहत सुनाई गई सजा
माफिया मुख्तार अंसारी को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया, जिस पर सजा सुनाई गई। भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है। इसके तहत अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
यूपी, दिल्ली और पंजाब में मुख्तार के खिलाफ 65 मुकदमे
गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद थाने के हिस्ट्रीशीटर और यूसुफपुर निवासी मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में 65 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। 25 अक्तूबर 2005 से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को अब तक सात मामलों में अदालत सजा सुना चुकी है। वाराणसी के वर्ष 1991 के अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। लखनऊ के दो मामलों, गाजीपुर के चार मामलों और वाराणसी के एक मामले में मुख्तार अंसारी को पांच वर्ष छह माह से लेकर 10 वर्ष तक की सजा से दंडित किया जा चुका है। फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण आठवां ऐसा मामला होगा, जिसमें मुख्तार को सजा सुनाई जाएगी।