Sun. Jul 6th, 2025

चरित्र शंका के चलते पत्नी की हत्या करके पति ने की खुदकुशी, सुबह बेटे ने देखी माता-पिता की लाश

Raipur Crime News :

Raipur Crime News :

संबंधित क्षेत्र की थाना प्रभारी श्रुति सिंह ने बताया है कि घटना की जानकारी रविवार सुबह तब हुई जब मृतक का बेटा अपने पिता के कमरे में पहुंचा. उसने देखा कि मां का शव खाट के नीचे पड़ा था और सिर के पीछे चोट लगी थी।

Raipur Crime News : शहर के आउटर में स्थित कबीर नगर थाना क्षेत्र में सोनडोंगरी गांव में एक व्यक्ति ने शनिवर की दरम्यानी रात पत्नी की हत्या करके खुद फांसी लगा ली।

मृतक अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह करता था

संबंधित इलाके की थाना प्रभारी श्रुति सिंह ने बताया है कि घटना का पता रविवार को सुबह तब लगा जब मृतक का पुत्र,पिता के कमरे पहुंचा। उसने देखा कि मां का शव खाट के नीचे पड़ा था और सिर के पीछे चोट लगी थी। जबकि पिता बाजू वाले कमरे में फांसी पर लटका था, उसने पुलिस एवं गांव वालों को खबर दी। पुलिस ने बताया है कि मृतक के परिवार में बहु-बेटा एवं पुत्री है। सबने शनिवार रात खाना साथ खाया फिर रात 11:00 बजे सोने चले गए। मृतक के पुत्र के अनुसार गर्मी की वजह से पंखा कूलर चलने की वजह से रात में माता-पिता के मध्य झगड़ा-बहस आदि सुनाई नही दिया, खाना के समय सबके बीच सामान्य बातचीत एवं कुछ दिनों बाद एक शादी कार्यक्रम में जाने को लेकर चर्चा हुई थी।

पति-पत्नी का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा

बहरहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर पति-पत्नी का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रथम दृष्टा लगता है कि पति ने पत्नी की रॉड मार कर हत्या की होगी उसके बाद खुद फांसी पर झूल गया होगा। पीएम रिपोर्ट आने के बाद मौत के करण का खुलासा हो पाएगा। पति पत्नी फल-सब्जी का ठेला लगाते थे। घर पर अभाव जैसी कोई बात नही थी।

गौरतलब हैं कि हफ्ते भर पहले पुरानी बस्ती इलाके में एक चाट ठेले वाले ने पत्नी की हत्या कर खुद फांसी लगा ली थी। दोपहर की घटना के समय उनका पुत्र स्कूल गया था। उधर सड्डू इलाके में एक संपन्न परिवार में बड़े भाई ने छोटे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी, उसने बाद में मोबाइल करके मां को इसकी खबर दी थी। 2 माह पूर्व दिसंबर अंत में टिकरापारा इलाके में एक व्यक्ति पत्नी, बच्ची (16) के साथ मिलकर फांसी लगा ली थी। यहां गौरतलब है कि पारिवारिक तनावों के मध्य इस तरह की घटनाएं शहर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बीच-बीच में आ रही है, कुछ अर्थाभाव कुछ में शक-शिकवा किसी में अवैध संबंध, किसी में व्यवसाय में घाटा या कर्ज अधिक होने, देनदारियाें या अन्य पारिवारिक कारणों से घटना घटी।

समाजशास्त्रियों का इन मामलों को लेकर कहना है कि-

समाजशास्त्रियों का इन मामलों को लेकर कहना है कि समाज एवं खुद को धार्मिक गुरु बताने वाले का कर्त्तव्य बनता है कि वे हफ्ते -15 दिन में छोटे स्तर पर ही सही सामाजिक पारिवारिक बैठकें करे,जिससे कि समस्याओं का पता समय रहते चल सके एवं निपटारा किया जा सके। इसी तरह धार्मिक नेताओं का दायित्व है कि वे प्रवचन, सत्संग या दीगर कार्यक्रम में लोगों से अपील करें कि वे उपरोक्त प्रकारों की कदम न उठाए। मनोचिकित्स्कों का कहना है कि दौड़ -भाग की जिंदगी आजीविका के लिए दिनभर जुटे रहने एवं अत्यधिक महत्वाकांक्षा तथा शक या पूर्वाग्रह बड़े कारक होते है ऐसी घटनाओं के पीछे पास-पड़ोस के लोगों से बातचीत तालमेल न रखना संकेत देता है कि पड़ोसी के यहां सब कुछ ठीक नही चल रहा है। छोटी-मोटी बातों को भी दिल पर लेना, तनाव पाल लेना, चिड़चिड़ापन घातक होता है। वार्डों के पार्षदों का भी दायित्व है कि माह एकाध बार सही पर अपने वार्ड वासियों से भेंट करें, परेशानी पूछे।

(लेखक डा. विजय)

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