बच्चे को चुप कराने के लिए मोबाइल देना महंगा पड़ गया

मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने के कारण बच्चा ऑटिज्म का शिकार हो गया। बच्चा जापानी और चीनी रील देखते हुए दोनों भाषाएं बोल रहा है लेकिन उसका मतलब नहीं जानता।
मध्य प्रदेश न्यूज : बच्चे को सही तरीके से लालन-पालन करने के बजाय रोने पर चुप कराने महज डेढ़ बरस की आयु में मोबाइल थमाना महंगा पड़ गया है। बच्चा मोबाइल पर रील्स से हिंदी के बजाय जापानी, चीनी भाषा सीख रहा है पर वह जापानी-चीनी शब्दों के मायने नही समझता।
यह घटना जबलपुर (मध्य प्रदेश) में डॉक्टरों के सामने आई
जबलपुर (मध्य प्रदेश) में यह प्रकरण चिकित्सकों के सामने आया है मेडिकल कॉलेज में उसका उपचार किया जा रहा है। अगर आपका बच्चा रोता है और आप उसे बहलाने के लिए मोबाइल थमा देते हैं तो सचेत हो जाए। इससे बच्चे के सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। दरअसल जिस बच्चे का प्रकरण सामने आया है वह अब 4 वर्ष का हो चुका है। बच्चा रील्स कंटेट की शैली में चीनी-जापानी संवाद कर रहा है। जबकि जो शब्द व्यक्त करता है उसके अर्थ (मायने) नही जानता। वह रील से हिंदी के बजाय जापानी-चीनी भाषा सीखता-सुनता रहा। चिकित्स्कों के अनुसार स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से बच्चा ऑटिज्म बीमारी का शिकार हो गया है। एक कामकाजी दम्पति ने जबलपुर में अपने बच्चे की देखरेख के लिए आया रखा। जब बच्चा किन्ही कारणों से स्वाभाविक तौर पर रोता तो आया उसे मोबाइल दे देती, बच्चा 6-7 घंटे तक मोबाइल देखता रहता। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार मोबाइल के इस्तेमाल से बच्चे का मानसिक शारीरिक विकास रुक गया है। बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित नही हो सका। शारीरिक विकास तो जरूरी है ही, वह अन्य खेलों को भी नहीं समझ पा रहा है। इतना ही नहीं, वह सामाजिक परिवेश को भी समझने में असमर्थ है।
बच्चों को ज्यादा देर तक मोबाइल न दें
चिकित्स्कों का कहना है कि मोबाइल पर स्क्रीन टाइम बढ़ने से 7 साल तक के बच्चों को ऑटिज्म बीमारी हो रही है। उनमें भाषा का विकास नही हो पाता। वे स्क्रीन पर देखी- सुनी भाषा के ही शब्द ही बोलने लगते हैं। बहरहाल जबलपुर में ऐसे कई मामले सामने आने के बात मनोचिकित्सक बताते हैं। लिहाजा, सावधान करते हैं कि माता-पिता को छोटे बच्चों को मोबाइल फोन के बजाय खिलौने या अन्य वस्तुएं देनी चाहिए, या उन्हें अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने देना चाहिए।