पढ़ा लिखा मोबाइल जानकार वर्ग झांसे में आ ठगी का शिकार बन रहा !

Cyber Fraud
देश में 70-75 प्रतिशत लोग शर्म के कारण धोखाधड़ी की शिकायत नहीं करते, इससे जालसाजों का मनोबल बढ़ता है।
Raipur Crime News Cyber Fraud : ऑनलाइन रिव्यू के नाम पर राजधानी की एक युवती ठगी का शिकार हो गई। साढ़े 5 लाख से अधिक की रकम उसने गंवा दिए। उसे ऑनलाइन गूगल रिव्यू करने का जॉब ऑफर हुआ था। इससे रोज इनकम होने का झांसा दिया गया। ततसंबंध में एक टेलीग्राम समूह से जोड़ा गया था। इस चक्कर में महज पैसों के लालच में फंस उसने अपनी बड़ी जमा रकम गंवा डाली।
शिक्षित वर्ग के लोग झांसे में आ जाते हैं
गौरतलब है कि उपरोक्त प्रकार की धोखाधड़ी पहली बार नहीं हुई है। पिछले कुछ महीनों में दर्जनों लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। बड़ी बात यह है कि एंड्रॉयड मोबाइल फोन वाले पढ़े-लिखे लोग ऐसे मामलों में फंसते रहे हैं। जो खुद को बहुत स्मार्ट समझते हैं। प्रदेश में हर माह सैकड़ों लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार होते हैं। जिसके कारण 100 प्रतिशत लोग शिक्षित श्रेणी में आते हैं।
राज्य पुलिस की सलाह है कि अजनबियों की कॉल अटेंड न करें
उधर तमाम राष्ट्रीयकृत बैंकों ने दर्जनों मर्तबें एवं राज्य पुलिस ने सैकड़ो बार समझाइश दी है कि अपरिचित कॉल आने पर उसे अटेंड न करें बल्कि पुलिस को सूचित करें। इसी तरह अनजान नंबर सेआए मैसेज भी न खोले। साइबर पुलिस भी बीच-बीच में लोगों को आगाह करती रही है। समाचार, पत्र-पत्रिकाओं, चैनलों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ऐसे ठगी के न्यूज प्रकाशित- प्रसारित होते रहते हैं। पर हद तो तब हो जाती है जब लोग समझदार होते हुए भी रकम डेढ़-दुगुना होने के लालच में अपरिचित कॉल, मैसेज उठा लेते हैं। जब लाखों रुपए गंवा बैठते है तब पुलिस के पास भागे-भागेआते हैं। पर तब तक देर हो चुकी रहती है। ऐसी स्थितियों में सोचे -विचारे की ठगी का शिकार होने वाले क्या वाकई सहानुभूति के हकदार हैं। शायद ज्यादातर जवाब आएगा नही। साइबर क्राइम करने वाले शातिर-बदमाश एवं कंप्यूटर मोबाइल एक्सपर्ट रहते हैं। भले ही कम पढ़े-लिखे हैं। उन्हें प्रायोगिक जानकारी ज्यादा रहती है। इसलिए 10 प्रतिशत भी अपराधी पकड़ में नहीं आते। वे नया-नया फर्जी खाता खोलकर झांसे में रकम ट्रांसफर करवाते रहते हैं। मोबाइल नंबर भी वे फर्जी कागजात का इस्तेमाल कर ले लेते हैं जिसे काम होते ही बंद करके रख देते हैं।
साइबर क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक 70-75 फीसदी लोग शिकायत नहीं करते
हालाँकि, जब कोई व्यक्ति विशेष धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है तो स्वाभाविक सहानुभूति होती है, लेकिन रकम डूबत खाते में चला जाता है। फिर हाथ मलने और माथा पकड़ने के अलावा कुछ नहीं बचता। पुलिस सूत्रों और साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि देश में 70-75 फीसदी लोग शर्म के कारण धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते हैं। इससे ठगों का मनोबल बढ़ जाता है।
ठगों से सावधान रहें
उपरोक्त झांसों से बचने के लिए लोगों को सरल, आरामदायक उपाय अपनाने चाहिए। जो पुलिस, बैंक और मोबाइल कंपनियां भी बताती हैं। किसी भी परिस्थिति में अनजान कॉल रिसीव न करें। अन्यथा आपको भारी मात्रा में धन का नुकसान होगा। डिजिटल भुगतान प्रणाली के आगमन के साथ, बदमाशों और धोखेबाजों ने इससे बचने का रास्ता ढूंढ लिया है। इसलिए सावधानी और संयम बरतें। रकम डेढ़ से दोगुनी होने के चक्कर में कभी न पड़ें।