घरेलू क्रिकेट को कमतर आंकने वाले खिलाडियों को भारतीय टीम में बोर्ड जगह न दे

दिलीप, रणजी ट्राफी 2024
दिलीप, रणजी ट्राफी 2024 : दशकों तक भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम में जगह बनाने का माध्यम दिलीप एवं रणजी ट्रॉफी रहा। पर समय बदला फटाफट क्रिकेट की पैदाइश के साथ पहले 50-50 ओवर का वनडे मैच, फिर झटपट क्रिकेट यानी 20-20 मैच। इन दोनों ने दिलीप-रणजी ट्रॉफी के प्रति खिलाड़ियों का रुझान कम कर दिया। आईपीएल ने तो पूरी तस्वीर पलट कर धर दी। जिसमें पैसा सीधे-सीधे लाखों,करोड़ों में बरसता है। फिर दिलीप-रणजी ट्रॉफी के हजारों या पूरे सत्र में कुछ लाख को भला कौन पूछे। क्रिकेटरों की नर्सरी का बिगड़ता स्वरूप देख अब वही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड नाराजगी जता रहा है जिसने खुद आईपीएल को भारतीय सरजमीं पर जगह दिया।
हाल ही में बंगाल राज्य क्रिकेट टीम के कप्तान मनोज तिवारी ने रणजी ट्रॉफी में व्यवस्था को लेकर भारी आक्रोश जताते हुए घोषणा कर दी कि इसी सत्र के साथ वे संन्यास ले लेगे। मनोज का रणजी में बेहतरीन रिकार्ड रहा है। बावजूद उन्हें भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम में स्थान नही मिला। गौरतलब हो कि भारत में क्रिकेट की शुरुआत के समय से ही रणजी-दिलीप ट्रॉफी काफी मायने एवं सम्मानीय स्थान रखती थी। जो दशकों तक बरकरार रही। विजय मर्चेट, लाला अमरनाथ, मंसूर खान पटौदी, अजीत वाडेकर, ईरापल्ली प्रसन्ना, चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी, वेंकट राघवन, सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, चेतन चौहान, अंशुमन गायकवाड, कसरन धावरी, सैय्यद किरमानी, कपिल देव, मदन लाल, रोजर बिन्नी, सचिन तेंदुलकर,मोहिंदर अमरनाथ, सुरेंद्रर अमरनाथ, संदीप पाटिल, दिलीप वेंगसरकर, शिवरामा कृष्णन, अश्विन रामचंद्रन, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी, शिवलाल यादव, राहुल द्रविड़, सुमित गांगुली, श्रीकांत, चेतन शर्मा, हरभजन सिंह आदि सैकड़ो खिलाड़ी दिलीप-रणजी ट्रॉफी की देन है।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) वाले फ्रेंचाइजी लाखों, करोड़ों रूपये एक छोटे सत्र हेतु देते हैं। फ्रेंचाइजी चाहती हैं कि उनके अनुबंधित खिलाड़ी 3-4 महीने तक लीग की तैयारी करें और स्वस्थ और फिट भी रहें। करोड़ों का पैकेज खोने से बचने के लिए भारतीय खिलाड़ी चोटिल होने के खतरे से बचने के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने से इनकार कर रहे हैं। पिछले डेढ़ दशक से यही देखने को मिल रहा है। आईपीएल में हर खिलाड़ी को करोड़ों मिलते हैं। जैसे ईशान किशन को मुंबई इंडियंस ने 15 करोड़ 25 लाख रुपये में अनुबंधित किया था। देश-विदेश में उनके जैसे कई सितारे हैं जो आईपीएल से 10 से 25 करोड़ रुपये कमाते हैं।
पहले विदेशी खिलाड़ी आईपीएल बहुत कम खेलते थे। पर अब उन्हें अच्छा खासा भाव फ्रेंचाइजी दे रही हैं तो वे अपने बोर्ड से कोई न कोई वजह बता छुट्टी ले आईपीएल खेल रहे हैं। खिलाड़ी करोड़ों का एग्रीमेंट किसी कीमत पर खोना नहीं चाहते। फ्रेंचाइजी इन्हीं के भरोसे अरबों रुपए कमाते हैं। इसलिए अपनी टीम के ऊपर करोड़ों की बारिश करते हैं। नीलामी में फ्रेंचाइजियों के मध्य प्रतिस्पर्धा होती है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को पूरी दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कहा जाता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर उनकी पकड़ बरकरार है। लेकिन आज बदले माहौल में दलीप-रणजी ट्रॉफी देखने कम लोग जाते हैं। बोर्ड मैदान पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देता है। आईपीएल ने नए खिलाड़ियों की कीमतें बढ़ा दी हैं।
खैर, बीसीसीआई खिलाड़ियों से जो भी कह रही है, दिलीप, सभी खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी को कम नहीं आंकना चाहिए और आईपीएल की तरह इस घरेलू टूर्नामेंट को भी महत्व देना चाहिए। आईपीएल शुरू होने में अभी काफी समय है। राज्य क्रिकेट संघ भी अपने अच्छे खिलाड़ियों के मैच खेलने से इनकार करने से नाखुश हैं। अभी भी स्थिति संभलने की संभावना है। बीसीसीआई को बोर्ड की विशेष बैठक बुलानी चाहिए। जिसमें उपरोक्त प्रसिद्ध खिलाड़ियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। बेहतर होगा कि बोर्ड नये और कुछ पुराने तथा सीनियर खिलाड़ियों को यह स्पष्ट कर दे कि यदि वे घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिताओं को महत्व नहीं देंगे तो उन्हें भारतीय टीम में जगह नहीं मिलेगी। वर्तमान में बोर्ड द्वारा बोये गये पौधे में चुभन हो रही है। इसका समाधान तो उसे ही खोजना होगा।