राजस्थान के कोटा में लगातार छात्रों की आत्महत्या, वक्त आ गया है देश विचार करें ..!

छत्तीसगढ़ के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने उठाया मुददा !
रायपुर न्यूज : राजस्थान कोटा में एक और छात्र ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। 10 दिनों के अंदर कोटा में यह तीसरी घटना है। उत्तर प्रदेश का गोंडा निवासी बीटेक अंतिम वर्ष का छात्र नूर मोहम्मद अपने कमरे में फांसी पर झूलता पाया गया। फिलहाल पुलिस को उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
गौरतलब हो कि कोटा, राजस्थान देश में कोचिंग संस्थाओं का हब बन चुका है। हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित कर कहा था कि केंद्र राज्य सरकार को वहां के विपक्ष दलों के साथ मिलकर चर्चा कर कोटा शहर को किसी भी प्रकार की कोचिंग संस्था चलाने प्रतिबंधित कर देना चाहिए। होनहार युवाओं की असमय मौत (खुदकुशी) पर कोचिंग चलाने (संचालित) की अनुमति नही दी जा सकती। या कि वक्त आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इस मामले को संज्ञान में ले।
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने कोटा समेत अन्य जगहों पर चल रहे कोचिंग सेंटर्स एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में अब तक करीब 35 हजार विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या का मामला शुक्रवार को संसद में उठाया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मामला है जिस पर पूरे समाज को सोचने की जरूरत है। एक अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि अब तक देश में 35 हजार विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या की गई है। बकौल शुक्ला छात्रों में बढ़ती इस तरह की प्रवृत्ति को रोकने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं व कोचिंग सेंटरों में मेंटल हेल्थ मैनेजमेंट सेंटर खोलने की जरूरत है। साथ ही टीचरों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाए कि वे छात्रों को निराशा से बाहर निकाल सकें। इसके साथ ही छात्रों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि यदि वे परीक्षा (प्रतिस्पर्धी) में पास नहीं हो सके तो इसका मतलब यह नही कि उनका (छात्रों) सब कुछ खत्म हो गया।
सांसद शुक्ला ने स्पष्ट किया कि इसमें सरकारों को दोष देने वाली बात नहीं है। यह गंभीर चुनौती है, जिस पर सभी को (दलों) सोचना होगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने बहुचर्चित सालाना कार्यक्रम परीक्षा पर चर्चा के मध्य अपने संबोधन में कहा था- अक्सर मां-बाप भी बच्चों पर दबाव डाल देते हैं। जिसके चलते वे मानसिक संकट में पड़ जाते हैं। पीएम ने उस संबोधन में मां-बाप, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को नसीहतें दी थी। जिसे सभी ने सराहा था।
बहरहाल प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में असफल विद्यार्थी ऐसा कदम उठाते हैं तो यह गलत है। इस दिशा में वाकई सबको सोचना विचारना होगा। भले ही बुरा लगे पर अगर कोचिंग हब को प्रतिबंधित करने की बात आती है तो हिचकना नही चाहिए। ऐसा करके (प्रतिबंधित) एक बड़ा संदेश जागरूकता विद्यार्थियों के मध्य सीधे प्रेषित किया जा सकता है। साथ ही तमाम अन्य शहरों के शैक्षणिक कोचिंग संस्थाओं को भी आगाह किया जा सकेगा।