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बेहतर होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार शराब की खपत कम करने के लिए कदम उठाए

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

छत्तीसगढ़ न्यूज : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की मैराथन बैठक बाद यह निर्णय लिया गया है कि प्रदेश में अब कोई भी नई शराब दुकान नहीं खोली जाएगी। यह अच्छा निर्णय है पर बेहतर होता है कि शराबबंदी के लिए माहौल बनाने वर्तमान शराब दुकानों में से कुछ को बंद करने की भी घोषणा की जाती।

बेशक भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का कोई वादा नहीं किया था। कांग्रेस या अन्य पार्टियों ने तो नहीं, लेकिन भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए और चुनाव के दौरान कांग्रेस पर खुलकर हमला बोला था – जिसमें कहा गया था कि शराबबंदी के लिए कांग्रेसियों ने हाथ में गंगा जल लेकर शपथ ली थी। यह अलग बात है कि कांग्रेस ने उक्त आरोप से इनकार किया था। खैर ! जो भी हो आरोप भाजपा ने लगाया है जो अब सरकार चला रही है। अत: नैतिक रूप से इस दिशा में एक-दो कदम बढ़ाने के लिए उन्हें कुछ शराब की दुकानें बंद करना था जिसका लोगों पर कुछ न कुछ असर जरूर हुआ होता। साथ ही महिलाओं के बीच अच्छा संदेश जाता है। एक गृहिणी होने के नाते उन्हें शराब के कारण परिवार में कलह, लड़ाई-झगड़े, उथल-पुथल, आर्थिक तंगी आदि का सामना करना पड़ता है।

कुछ शराब की दुकानों को बंद कर नजदीकी शराब की दुकान में विलय कर देना चाहिए था। कर्मचारी भी बेरोजगार नहीं होते। लेकिन दुकानों की संख्या कम होने और घर व मोहल्ले से दूर रहने के कारण शराबी पूरे दिन शराब पीने से बचते हैं। या फिर दूरी के कारण कम जाते। इसका असर जल्द ही दिखता।अगर भाजपा के समर्थन वाली सरकार ने ऐसा फैसला लिया होता तो उसे शराब से प्रभावित महिलाओं और पीड़ित परिवारों की सहानुभूति मिलती। राज्य सरकार को शराब की बिक्री से हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाता है। यह कितनी अजीब बात है कि शराब खुलेआम बिकती है इसे बेचकर राजस्व वसूलते हैं। जिसे शराब पीकर बीमार पड़ने वाले और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल के नाम पर एक बड़ी राशि खर्च कर दी जाती हैं। यानी दारू-दवा दोनों उपलब्ध है।

सरकार को सभी दलों के प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों, आम नागरिकों, प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षकों की एक समिति बनानी चाहिए और शराब की बिक्री कम करने की योजना बनानी चाहिए। कमेटी तय अवधि में तय करे कि शराब की बिक्री या सेवन को कैसे हतोत्साहित किया जा सकता है। जैसे शराब से होने वाली बीमारी, घरेलू विवाद, बीमारी से मृत्यु, स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होगा। इत्यादि, इस पर एक लघु वृत्तचित्र बनाकर इसे डीडी न्यूज चैनल सहित सभी टीवी चैनलों के लिए नियमित रूप से प्रसारित करना अनिवार्य किया जाना चाहिए और मीडिया को भी शराब से होने वाली बीमारियों को नियमित रूप से प्रिंट में चरण दर चरण प्रकाशित करना चाहिए। राज्य में नई पीढ़ी (18 वर्ष से ऊपर) भी शराब का शिकार होने लगी है, जिसे समय रहते रोकना होगा। अन्यथा परिणाम घातक होंगे।

(लेखक डा. विजय)

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