आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल का मामला- अब बीच में पिस रहे विद्यार्थी ..!

Atmanand English Medium

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आत्मानंद इंग्लिश मीडियम : पूर्ववर्ती कांग्रेस राज्य सरकार ने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने प्रदेश में युद्ध रफ्तार से स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले। हद तो तब हो गई जब स्थानीय अच्छे भले चल रहे हिंदी माध्यम स्कूलों को यकायक अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया। आज हालात यह है कि दर्जनों आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाने शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। जहां कुछ शिक्षक हैं वे भी अंग्रेजी भाषा में पारंगत नहीं है।

पिछली राज्य सरकार ने डेढ़ दर्जन अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलती तो बात समझ में आती। लेकिन कुछ ही वर्षों में उन्होंने दर्जनों स्कूल खोले, जिनमें आधे से ज्यादा हिंदी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया।

छत्तीसगढ़ के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है। केवल कुछ निजी स्कूल और कुछ निजी कॉलेज ही अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हैं और बाकी में केवल हिंदी भाषा में ही शिक्षा दी जाती है। यहाँ तक कि विज्ञान विषयों की शिक्षा भी हिन्दी भाषा में होती रही है।

आज प्रदेश के चारों दिशाओं से खबर आ रही है कि आत्मानंद स्कूल तो खुल गया लेकिन शिक्षक नहीं हैं। या फिर कमतर हैं। उनमें से अधिकांश अंग्रेजी भाषा में पारंगत नहीं हैं। इसका मतलब है कि वे काम चलाऊ अंग्रेजी बोलते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे क्या पढ़ा रहे होंगे। एक उदाहरण देखें – ग्राम पंचायत आमदी जिला धमतरी में स्वामी आत्मानंद स्कूल 23 मई में खोलने की घोषणा की गई थी। जो 23 सितंबर से शुरू हुआ।लेकिन सत्र गुजरने को है और एक दिन क्लास नहीं हुई। 100 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। अंग्रेजी के शिक्षक नहीं मिले। चुनाव आचार संहिता की बात कह दी गई। संबंधितों के पास पालक बच्चों को लेकर जा रहे हैं जहां कोई जवाब नहीं दे पा रहा है।

छत्तीसगढ़ के संबंधित स्थानों के बच्चों के पालको ने बड़ी आस पाल रखी थी कि बच्चा अंग्रेजी में पड़ेगा तो नौकरी पक्की हो जाएगी। उन्हें कौन समझाए कि माध्यम हिंदी भी हो तो भी अच्छे से शिक्षित विद्यार्थी आगे नौकरी, काम धंधा कर सकते हैं। कौन बताए कि अंग्रेजी माध्यम वाले लोग भी बेरोजगार घूम रहें हैं। गेंद अब नई सरकार के हाथों है-सो देखना होगा क्या कदम उठाती है या कि पुराने ढर्रे पर सब चलते रहेगा। अंग्रेजी के चक्कर में विद्यार्थी पिसते रहेगा।

छत्तीसगढ़ के संबंधित स्थानों के बच्चों के माता-पिता को बहुत उम्मीदें थीं कि अगर बच्चा अंग्रेजी सीख जाएगा तो नौकरी पक्की हो जाएगी। उन्हें कौन समझाए कि भले ही माध्यम हिंदी हो, अच्छे पढ़े-लिखे छात्र भविष्य में नौकरी और व्यवसाय कर सकते हैं। कौन बता सकता है कि अंग्रेजी माध्यम वाले लोग भी बेरोजगार घूम रहे हैं। गेंद अब नई सरकार के हाथ में है – इसलिए देखना होगा कि वह क्या कदम उठाती है या सब कुछ पुराने ढर्रे पर ही चलता रहेगा।अंग्रेजी के चक्कर में विद्यार्थी पिसते रहेगा।

(लेखक डा. विजय)

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