विराजते ही श्रीरामलला, भक्तों के लिए उपहार स्वरूप समृद्धि ला रहे ..!

श्री रामलला मंदिर
रामलला प्राण प्रतिष्ठा : श्री रामलला 22 जनवरी को मध्यान्ह नए भव्य, सुंदर नयनाभिराम मंदिर में विराजेंगे। 500 वर्षों बाद प्रभु को उनका खोया,लुटा, तोडा गया नए भव्य रूप से मंदिर वापस मिल रहा है। इस अवसर का साक्षी बनने अयोध्यावासी सदियों से इंतजार कर रहे थे। देश भर के करोड़ों राम भक्त स्वाभाविक है कि हर रामभक्त का सपना होगा कि वे अयोध्या धाम पहुंच अपने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को नवनिर्मित भव्य बाल रूपी प्रतिमा का दर्शन कर निहाल हो। तो वही श्री रामलला विराजते अयोध्या वासियों का भाग्य पलटने जा रहे हैं। जहां धन की वर्षा शुरू हो गई है।
एक दशक पहले, एक छोटा सा शहर जो सदियों पुराना था और जिसकी आबादी हजारों साल पुरानी थी, उसकी अधिकतम आबादी डेढ़ लाख रही होगी। लेकिन इतिहास में जो कुछ है वो अब परत दर परत देश और दुनिया के सामने आ रहा है। इस बात को जानकर लोग अयोध्या धाम की ओर दौड़े जा रहे हैं। जिसमें हजारों-लाखों लोग बसने के लिए आ रहे हैं। कायाकल्प बदल रहा है। जब महाप्रभु श्री राम नये मंदिर में विराजमान हैं तो अयोध्या धाम क्यों नहीं बदला जाना चाहिए !
दशक भर के अंदर अयोध्या में जमीन का भाव 10 गुना से अधिक हो गया है। वहां कंपनियां, बिल्डर्स सोसायटी बनाने आउटरों पर मुंह मांगी कीमत पर जमीन खरीद रहे हैं। छोटे से शहर के अंदर राम जन्मभूमि मार्ग ‘रामपथ’ पर जमीनों का भाव 5 से 6 हजार रुपए वर्गफीट चला गया है। दूसरे शहर जाकर नौकरी कर रहे लाखों कमा रहे पढ़े-लिखे लोग अपने पुराने धार्मिक नगरी अयोध्या लौट रहे हैं। वे दुकान, ठेकेदारी, जमीन पर्यटन, ट्रेवल्स , होटल, लॉज, बुक स्टाल, ज्वेलरी शॉप, प्रिंटिंग, शिक्षा, अस्पताल आदि आदि काम करने लौट रहे हैं। ऐसे सैकड़ो लोगों का कहना है कि जब श्री रामलला घर पर (अयोध्या) में काम दिला रहे हैं तो फिर बाहर रहकर क्यों नौकरी करें अयोध्या में छोटा-मोटा काम करके लाखों कमा लेंगे। साथ ही श्री रामलला की सेवा भी करेंगे।
अयोध्या में एयरपोर्ट बनाया गया है। रेलवे स्टेशन भव्य हो गया है। वहां व्यापार के अवसर खुले हैं। आसपास के जिलों और शहरों में आने-जाने का कारोबार फलने-फूलने लगा है। सरयू घाटों पर नाविकों की संख्या कई गुना बढ़ गयी है. जिनकी कमाई भी पहले से 10-15 गुना तक बढ़ने की खबर है।
छोटी चाय की दुकानों और पान विक्रेताओं का व्यवसाय फलफूल रहा है। पहले इक्का-दुक्का यात्री बस सेवाएँ ही थीं। वे कई गुना बढ़ गई हैं। एसी बस सेवा शुरू हो गई है। मंदिर पथ के रास्तों पर तीन-चार मंजिला पार्किंग सुविधा सैकड़ो को रोजगार देने जा रही है। जिसमें भव्य बैठने व्यवस्था, हाल, फैमिली हाल, भोजन कक्ष, पूजन कक्ष बने हैं। प्रिंटिंग का धंधा 10 गुना बढ़ चुका है। हरिद्वार का प्रसिद्ध गीता प्रेस चाहकर भी मांग अनुरूप उत्पादन नही कर पा रहा है। ऑनलाइन बुक बिक रही है। स्थानीय बुक स्टोर आज 15 गुनी ज्यादा धार्मिक पुस्तके बेच रहे हैं। ऑटो-रिक्शों वालों को अच्छी खासी ग्राहकी मिल रही है। धर्मशाला, होटल, लॉज का धंधा बढ़ गया है। किराया दर 600 -700 रुपए या हजारों में है। पर्यटन हेतु भ्रमण कराने दफ्तर खुल चुके हैं।
कपड़ों, मंदिर की छाप, इतिहास बताते परिधान, शाल, साड़ी, धोती, कुर्ता, टोपी, गमछा की मांग बढ़ गई है। निकटवर्ती आधा दर्जन जिलों से हेलीकॉप्टर सेवा यात्रियों के लिए शुरू हो रही है। सैकड़ो ट्रेन रोजाना आने-जाने लाइने बिछ गई है। बताया जा रहा है कि 6- 8 वर्ष पूर्व तक सालाना 25 से 30 हजार पर्यटक पहुंच रहे थे। जो सन 2019-20 के बाद लगातार बढ़े हैं। आज सालाना 2 करोड़ पर्यटक आ रहे हैं। इस वक्त अयोध्या धाम के प्रत्येक घर, गली-मोहल्ले में रामधुन भजन कीर्तन जारी है। सरयू घाट पर राममय झंडिया लगाए नावे सजी है। जिनमें पर्यटक बैठ सरयू का आनंद उठा रहे हैं। छोटे से शहर में सैकड़ो पुराने मंदिर अब कायाकल्प के साथ जगमगा रहे हैं। संतों में उत्साह-उमंग है। सच अयोध्या में दिन-रात की दिवाली है । शायद अपने भक्तों को श्री रामलला इंतजार का सेवा का भेंट (उपहार) दे रहे हैं।