छत्तीसगढ़ नगरी के दुबराज चावल को दिया गया जीआई टैग

नगरी के दुबराज चावल को जी आई टैग

नगरी के दुबराज चावल को जी आई टैग

रायपुर न्यूज : धमतरी जिले के सिहावा नगरी के प्रसिद्ध दुबराज चावल को जीआई टैग (भौगोलिक संकेत) मिला है, जिले का दुबराज चावल औषधीय गुणों वाला और सुगंधित है। इसलिए यह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे, लेकिन इलाके के लोगों का दावा है कि राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्ठी यज्ञ करवाया था। जिसमें चढ़ाया गया खीर दुबराज चावल से बनाया गया था। यज्ञ के बाद तीनों रानियों ने इसे खाया और चारों भाइयों ने राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को जन्म दिया।

बताया जाता है कि धमतरी अंतर्गत आने वाले नगरी क्षेत्र में दुबराज चावल का भारी उत्पादन होता है। नगरी ब्लाक को इसी वजह से पिछले वर्ष नगरी दुबराज नाम से जीआई टैग मिला है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर की मदद से नगरी की मां दुर्गा स्व सहायता समूह ने जीआई टैग बाबत आवेदन 2019 में किया था। इस आवेदन के साथ समिति ने सिहावा नगरी के पास क्षेत्र के श्रृंगी ऋषि आश्रम का एक पत्र भी जोड़ा था। जिसमें बाकायदा जिक्र किया गया है कि श्रृंगी ऋषि आश्रम में दुबराज चावल की खिचड़ी का प्रसाद चढ़ता था। इसी आश्रम के मुख्य पुजारी ईश्वर दास वैष्णव का कहना है कि श्रृंगी ऋषि अपने साथ दुबराज लेकर अयोध्या गए थे। जिसे खीर बनी थी और पुत्र कामेष्ठी यज्ञ में भोग चढ़ाया गया था। यज्ञ से अग्नि देव प्रकट हुए और राजा दशरथ की तीनों रानियाें को खीर खाने के लिए दिया। इसी के परिणाम स्वरूप तीनों रनियाे गर्भवती हुई। और भगवान राम-लक्ष्मण, भारत शत्रुघ्न पैदा हुए।

बहरहाल, बताया जा रहा है कि इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय ने दुबराज चावल को जीआई टैग दिलाने में मदद की। जीआई रजिस्ट्री विभाग द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब कृषि वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने दिया, जिससे संतुष्ट होकर नगरी दुबराज को जीआई टैग मिला।

(लेखक डा. विजय)

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