पौष अमावस्या या ‘बकुला अमावस्या’ पर पितरों का करें तर्पण

Paush Amavasya 2024: पौष अमावस्या कृष्ण पक्ष की तिथि पर पड़ने वाली बकुला अमवस्या है इस बार 11 जनवरी 2024 गुरुवार को आज मनाई जा रही है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। पौष मास की इस अमावस्या का शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन पितरों के नाम पर तर्पण, पिंडदान, पवित्र नदी में स्नान, दान और अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
पौष माह की अमवास्या तिथि 10 जनवरी को रात 08 बजकर 11 मिनट में शुरू होगी और 11 जनवरी शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार अमावस्या 11 जनवरी को है।पौष माह में पितरों के लिए पूजा और धार्मिक कार्य करने का प्रावधान है। इस माह में पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान के साथ-साथ भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस माह में शुभ और मांगलिक कार्य मकर संक्रांति तक वर्जित होते हैं।
पितृदोष सबसे कष्टकारी दोष में से एक है। पितृ दोष जातक की उन्नति में बाधा उत्पन्न करती है। यदि आप पितृ दोष से जूझ रहे हैं तो पौष माह में इससे मुक्ति पाने का शुभ अवसर आ गया है। पौष माह को पितरों को समर्पित माह माना जाता है। इसे छोटा श्राद्ध पक्ष भी कहते है। पौष माह साल की पहली अमावस्या होगी। जिसमें पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। पितृदोष के निवारण हेतु श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 7 का पाठ करें। गुड़,घी का हवन करना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पौष अमवस्या में भगवान विष्णु और शंकर जी का पूजन एवं ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।