छत्तीसगढ़ पीएससी परीक्षा 2021 चयनित सूची पर उठे दर्जनों सवाल, सीबीआई जांच से सामने आएगा सच..!

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रायपुर न्यूज : भाजपा ने सत्ता मिलने पर, राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) भर्ती परीक्षा 2021 की गड़बड़ी के आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करने का वादा युवाओं से किया था। ततसंबंध में उसने वादा निभाते हुए सीबीआई से जांच कराने की घोषणा कर दी है। जो पारदर्शिता को व्यक्त करता है।
राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) संवैधानिक संस्था है। जो अपनी स्थापना बाद पहली बार सीबीआई जांच के दायरे में आएगा। सीबीआई के निशाने पर सीधे तौर पर आयोग के निवृत्तमान अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, सचिव जे.के. ध्रुव होंगे। प्रतिभागी परीक्षार्थियों द्वारा आयोग पर परीक्षा में गड़बड़ी (घोटाला) का आरोप लगाते हुए सन 2021 के साथ सन 2019, 2020, 2021, 2022 की भी परीक्षाओं की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। इतना ही नहीं निवृत्तमान अध्यक्ष सोनवानी का नार्को टेस्ट तक कराने की मांग तक की गई थी।
छत्तीसगढ़ पीएससी ने मई के दूसरे हफ्ते में 2021 की परीक्षा के नतीजे जारी किये थे। जिसमें तब बवाल मच गया जब राज्य के किसी भी प्रतिस्पर्धा परीक्षा कोचिंग संस्थान ने टॉपरों को लेकर किसी तरह का क्रेडिट(श्रेय) नहीं लिया था। बताया जाता है कि यहीं से शक शुरू हुआ। फिर अभ्यर्थियों ने रायपुर में तत संबंध में बैठक की। जिसमें सन 2021 की परीक्षा परिणाम की चयन सूची के दायरों को लेकर भाई- भतीजावाद का आरोप लगा। आरोप छोटा-मोटा नही बल्कि सीधे आयोग अध्यक्ष सोनवानी के पुत्र, पति-पत्नी, भाई-बहन, कांग्रेस के नेता के भतीजे, एक सामाजिक सम्मेलन में सम्मानित एक युवा के चयन को भी मुद्दा बनाया गया। फिर आगे जाकर कई- खुलासे अभ्यर्थियों ने किए। मसलन सोनवानी के दत्तक पुत्र नितेश जिनका चयन डिप्टी कलेक्टर पद हेतु हुआ था। उनका सरनेम चयन सूची में छिपाने, साहिल सोनवानी का भतीजा (सूची में सरनेम छिपाया), सुनीता जोशी श्रम अधिकारी, सोनवानी की भांजी के चयन, सोनवानी के भाई की बहू दीपा आडिल जिला आबकारी बनने का भी मुददा उठाते हुए आरोप लगाया था। सोनवानी की बहू निशा कोसले के सन 2020 में डिप्टी कलेक्टर बनने, पीएससी सचिव जे. के. ध्रुव के बेटे सुमित ध्रुव के डिप्टी कलेक्टर बनने का मुददा उठाया था। इनके अलावा भी कई चयनित नामों पर आपत्ति उठाई गई थी।
बहरहाल उपरोक्त आरोपों बाद अब सीबीआई की जांच की घोषणा से अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि सच सामने आएगा। गौरतलब हो कि मई 23 में भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास के नेतृत्व में राज्यपाल को तत संदर्भ में ज्ञापन सौंप परीक्षा की चयन सूची निरस्त करने की मांग की थी। साथ ही सोनवानी का नार्को टेस्ट की कराने की भी मांग रखी थी। पूर्व सीएम ने आरोपों पर सबूत मांगा तब पूर्व मंत्री बृजमोहन ने मेरिट लिस्ट को ही सबूत करार देते हुए सख्त नाराजगी जाहिर किया था। तो उधर कांग्रेस के युवा नेता विनय तिवारी ने एसपी को पत्र लिख राज्य के युवाओं को आंदोलन वास्ते-उकसाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग एवं कोचिंग संस्थानों पर शिकंजा कसना शुरू किया। यहां पर मामला ओर तूल पकड़ने लगा। फिर भाजयुमो ने मई 23 में जोरदार प्रदर्शन किया। पीएससी दफ्तर का घेराव भी किया था। आम आदमी की पार्टी भी पीएससी के विरुद्ध लामबद्ध हुई थी। खैर ! भाजपा ने अपने चुनाव पूर्व के करीब आधा दर्जन वादों के साथ सीबीआई जांच कराने का वादा भी पूरा कर लिया है। राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा में अभ्यर्थियों, उनके पालक प्रसन्नता व्यक्त कर रहें है उनका कहना है कि मामले खुलने से पारदर्शिता के साथ सच्चाई सामने आएगी।