नए-नए तरीका इस्तेमाल कर रहे शराब विक्रेता , ठेलों खोमचों में चलते-फिरते अवैध बार !

चलता -फिरता अवैध बार
अवैध शराब बेचने वाले एवं विक्रेता अब शहर के ठेलों को भी अड्डा बना रहे हैं। चाय-नाश्ता की ठेलों पर एकाएक शक नहीं किया जाता इसी का फायदा उठाने नया तरीका विक्रेता अपना रहे हैं। नशेड़ी इनका अच्छा ग्राहक होते है।
रायपुर न्यूज : पुलिस सूत्रों समेत शहर में ठेले लगाने वाले स्थानों के रहवासियों के मुताबिक दिन में कभी-भी-कहीं भी शराब-गांजा पीने के शौकीन, आदतन नशेबाज पूर्व में ठेले या किराना दुकानों से पानी पाऊच, बड़ा डिस्पोजल गिलास प्लस 5-10 रुपए का चखने के तौर पाउच वाला मिक्चर, चना दाल, चिप्स लेकर सूनसान इलाके में जाकर शराब खोरी करते थे। अवैध शराब विक्रेताओं ने उक्त प्रवृत्ति के बढ़ते ही पैतरा बदल लिया। वे अधिक आय हेतु ठेला चलाने वालों या छोटे- मोटे होटल -खोमचें वाले को भरोसे में लेकर कमीशन पर कुछ एक -दर्जन पाव वाली शराब देशी-विदेशी बकायदा छोड़ देते हैं। शाम को हिसाब -किताब पूरा कर लेते हैं।
इधर चाय- नाश्ता ठेला, गुपचुप, चाट भंडार, होटल, नुक्क्ड़ या छोटे ढाबे वाले भरोसेमंद नियमित ग्राहक जो नशे के आदी होते हैं। उन्हें गुपचुप तरीके से आधा- एक पाव देते हैं, साथ ही मिक्चर, चिप्स, पानी, बोतल डिस्पोजल गिलास। चूंकि ठेलों में पूरे समय खासकर (दोपहर में) ग्राहकी कम होती है। इस वक्त काम -निपटा लिया जाता है। कभी पुलिस छापा मारती है। भी है तो 2-4 पाव मिलने पर बड़ी कार्रवाई नहीं करती। ऊपर से इन ठेलों वालों को अपने मुखबीरों से पुलिस की आवाजाही पता रहती है।
पुलिस ने पिछले तीन-चार दिनों में तीन दर्जन से अधिक विक्रेताओं ठेला वालों को पकड़ा है। लिहाजा बड़ी एवं ठोस कार्रवाई हेतु योजना बना रही है। शहर के एक -दो नहीं दर्जनों पाश इलाकों आउटरों में उपरोक्त धंधा चल रहा है। इनके ग्राहक छोटी-मोटी आय वाले होते है, जो बार जाने का खर्चा वहन नहीं कर पाते लिहाजा वे दो-तीन पैग या आधा पाव भर ले 70-80 रुपए में काम निपटा लेते हैं। फिर आराम से पैदल या अपने दुपहिया, चार पहिया वाहनों में चले जाते हैं। उधर फूड डिलवरी की तरह या उससे लेकर अवैध विक्रेता दुपहिया वाहनों की डिक्की में भी पौव्वे रखकर घूम-घूमकर अड्डों में पिला रहे हैं। या फिर बेच रहे हैं। जो मोहल्ले,कालोनी में घूमते है जहां धरपकड़ या छापेमारी का डर भी नहीं रहता।