पहले एफएमजीई पास करने के लिए कोई तय समय सीमा नहीं थी। लिहाजा बड़े आराम से विद्यार्थी उक्त कोर्स को पास करते थे। परंतु अब नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने ततसंबंध में नया आदेश जारी कर दिया है। जिसके तहत विदेश से एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों को भारत में प्रेक्टिस करने के लिए 3 वर्षों के भीतर अधिकतम 6 अवसर में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम पास करना अनिवार्य है। अन्यथा वे अपात्र हो जाएगे।
उधर छत्तीसगढ़ में हर वर्ष 300 के करीब विद्यार्थी, एमबीबीएस करने विदेश जाते हैं। एनएमसी की अधिसूचना के अनुसार विदेश में एमबीबीएस करने वालों को 10 साल इंटर्नशिप करनी ही होगी। विदेश में करीब 6 साल का एमबीबीएस कोर्स होता है। इसके बाद एक साल इंटर्नशिप विदेश में करनी होती है। यानी 7 वर्ष इसके बाद एफएमजीआई के लिए 3 वर्ष मिलेंगे। जिसे पास करने के बाद 1 साल भारत में इंटर्नशिप करनी होगी। इस तरह रखें तो 11 साल हो जायेगे। तब जाकर डॉक्टर बन पाएंगे। हर 6 माह में एक बार एफएमजीई होती है। यह नियम केवल विदेश से एमबीबीएस करने वालों पर लागू होता है। यहां के विशेषज्ञों के अनुसार यह छात्र हित में है। डॉक्टर सुनील खेमका कहते हैं कि विदेश वालों के लिए 6 अवसर हो या फिर देश से एमबीबीएस करने के लिए 4 अवसर, यह छात्र हित में है। मेहनती छात्र 1-2 अवसर में ही परीक्षा पास कर लेते हैं। नेट यूजी भी इसी तरह पास कर जाते हैं।