Chhattisgarh News : मोबाइल की नीली रोशनी दिमाग की नसों को कमजोर बना रही है- डॉक्टर खुराना

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Chhattisgarh News : मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल सिर्फ रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी खतरनाक है

Chhattisgarh News : सजग हो जाए यदि आप दिन या रात किसी भी Chhattisgarh News समय मोबाइल का घंटों इस्तेमाल कर रहे हैं तो। नहीं तो मोबाइल की लत आपके आंख और नींद को ही कमजोर नहीं कर रहा बल्कि इससे निकलने वाली नीली रोशनी- दिमाग की नसों को भी अपना शिकार बना रही है।

दरअसल उपरोक्त चेतावनी, समझाइश आगाह कर रहे हैं। पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरो सोनोलॉजिस्ट प्रोफेसर धीरज खुराना। पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर धीरज खुराना न्यूरो सोनोलॉजी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शोध उपरांत अपने विचार व्यक्त करते हुए शोध के निष्कर्षो में लोगों को अवगत कराया। बकौल डॉक्टर खुराना रात में घंटों मोबाइल पर बिताने के कारण युवाओं में नींद न आने की परेशानी बढ़ रही है। जिससे तनाव के साथ शारीरिक, मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है। गंभीर बीमारियों बढ़ने से दिमाग को खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो रही है।

स्ट्रोक क्लिनिक में आने वाले ज्यादातर मामलों में यही केस हिस्ट्री है। इसलिए लोगों को मोबाइल कम से कम उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। डॉक्टर खुराना बताते हैं कि मोबाइल से होने वाली शारीरिक समस्या धीरे-धीरे अन्य अंगों को भी चपेट में ले लेती जाती है। वे कहते हैं कि हमारी आंखें नीली रोशनी को रोकने में अच्छी नहीं है। किसी भी अन्य रंग की तुलना में नीली रोशनी शरीर की नींद के लिए तैयार होने की क्षमता के साथ खिलवाड़ करती है। या मेलाटोनिन नामक हार्मोन को अवरुद्ध करती है। जो नींद देती है। डॉक्टर खुराना ने स्पष्ट किया कि मोबाइल का ज्यादा उपयोग सिर्फ रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी बेहद खतरनाक है। इससे शारीरिक क्रियाशीलता कम हो रही है। मोटापा, शुगर, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। फैट और अन्य हानिकारक तत्व शरीर में एकत्र होकर खून की धमनियों (नसों) में ब्लॉकेज कर रहें हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सोने के पहले मोबाइल, स्मार्टफोन, टीवी, गेमिंग सिस्टम प्रकाश बल्ब, एलईडी बल्ब,कंप्यूटर मॉनिटर देखना खतरनाक है।
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(लेखक डा. विजय)

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