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करवा चौथ व्रत 2023 : करवा चौथ 1को, सुहागिनें पति के दीर्घायु के लिए रखेंगी निर्जला व्रत

करवा चौथ व्रत 2023 :

करवा चौथ व्रत 2023 :

करवा चौथ व्रत 2023 : राजधानी समेत समूचे प्रदेश भर में करवा की बिक्री

करवा चौथ व्रत 2023 : रायपुर सर्वार्थ सिद्दि योग 1 नवंबर की सुबह 6 बजकर 33 मिनट से 2 नवंबर को तड़के 4 बजकर 36 मिनट तक है। करवा चौथ व्रत 2023 इस मौके पर करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी का व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा। विवाहित महिलाए पति की लंबी उम्र की कामना के साथ इस दिन निर्जला उपवास रहेंगी। शाम चंद्रमा को देख उपवास खोलेगी।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। जो इस बार 1 नवंबर को पड़ रहा है। मौके पर विवाहित महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी। शाम को चंद्रमा निकलने पर व्रत खोलेगी। महिलाए पति के दीर्घायु होने की कामना के साथ व्रत रखती हैं।

व्रत हेतु राजधानी समेत प्रदेश भर के बाजारों में करवा (मिट्टी का पात्र) एवं अन्य सामग्री तथा छलनी (छन्नी) आ गई है। करवा मिट्टी से बना रहता है। जिसमें पानी भरा जाता है। शाम चंद्रमा देखकर करवा में रखें पानी को पीकर महिलाए व्रत खोलती है। आयुर्वेद अनुसार मिट्टी का बर्तन (पात्र) सेहत के लिए फायदेमंद रहता है। इसका पानी व्रत रखने वालों को ठंडकता प्रदान करता है। करवा पांच तत्वों का मिश्रण या पंच तत्वों से निर्मित माना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार चंद्रमा को गणेश भगवान ने कुछ वजहों से श्राप दिया था। इस कारण चतुर्थी पर चंद्रमा को सीधे देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए छलनी (छन्नी) का इस्तेमाल कर अप्रत्यक्ष तौर पर चंद्रमा का दर्शन महिलाएं करती हैं।

उधर बताया जाता है कि चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चांद की रोशनी से अमृत मिलता है। जिसका असर भावनाओं, संवेदनाओं पर पड़ता है। पुराणों के अनुसार चंद्रमा प्रेम एवं पति धर्म का भी प्रतीक है। लिहाजा सुहागिनें पति की लंबी उम्र वास्ते एवं दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना के साथ चंद्रमा की पूजा -अर्चना करती है। पंडितों के अनुसार पांडव की पत्नी द्रौपदी वनवास में पतियों के साथ थी। तब अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। द्रौपदी ने उनकी रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उनहोंने द्रौपदी को कहा कि जैसा पार्वती माता ने शिव भगवान के लिए उपवास रखा था वैसे उपवास,व्रत रखो। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ दिनों बाद अर्जुन वापस आ गए। बहरहाल महिलाए करवा चौथ उपवास रखने की पूर्व सज-धज रही है। सैकड़ो महिलाएं ब्यूटी पार्लर जाकर मेहंदी एवं फेशियल आदि करा रही है। सोलह शृंगार कर व्रत उपरांत पूजा करती है चांद की। चांद अगर न दिखाई दे तो कहा गया है कि उत्तर-पूर्व दिशा या पूर्व उत्तर दिशा में पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य (पानी) देना चाहिए। इससे दोष नहीं लगता।

(लेखक डॉ. विजय )

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