Raipur News 2023 : दीपोत्सव, सफाई रंगाई- पुताई साज-सजावट …!

Raipur News 2023 :

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Raipur News 2023 : मजदूर- श्रमिकों की मांग ज्यादा-सप्लाई कम पारिश्रमिक दर समान्य से डेढ़ से दुगुना आसपास के गांव देहात से पहुंचने लगे लोग

Raipur News 2023 : रायपुर दशहरा पर्व के महज या निर्धारित 21 दिन बाद हिंदुओं का (सनातनियों) सबसे बड़ा Raipur News 2023 पर्व दीपोत्सव 12-13 नवंबर को है। लिहाजा घर-घर सफाई,साज- सजावट,रंगाई पुताई आदि कार्य हेतु महज 20-21दिन रह जाते हैं। जिस हेतु मजदूरों- श्रमिकों, कारीगरों की मांग बढ़ने के साथ सप्लाई कम होने पर इनका पारिश्रमिक बढ़ना तय हैं।

दीपोत्सव पर हर सनातनी या हिंदू धर्मालंबी यथासंभव अपनी क्षमतानुसार घर की साफ-सफाई, रंगाई,पुताई साज-सजावट करता है। महालक्ष्मी के स्वागत हेतु कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। छोटे-बड़े मध्यम वर्गों,उच्च वर्गीय लोग इस हेतु दशहरा उपरांत जुट जायेंगे।

राजधानी रायपुर समेत समूचे प्रदेश में उपरोक्त माहौल अगले 20-21 दिन दिखेगा। राजधानी के आसपास के गांवों,कस्बों से बड़ी संख्या में मजदूर, श्रमिक, कारीगर काम की तलाश में सामान्य दिनों में यहां पहुंचते हैं। पर दीपोत्सव पर इनकी संख्या यकायक चार गुनी हो जाती है। बावजूद वर्कर की कमी बनी रहती है। डिमांड ज्यादा सप्लाई कम के चलते इनकी परिश्रमिक या मजदूरी दर में डेढ़ से दुगुना इजाफा होता है। निम्न -मध्यम वर्ग को या ज्यादा लगता है। पर इसी डेढ़ – दोगुनी आय से उक्त वर्ग अपने गांव कस्बे जाकर दीपावली मनाते हैं। यानी श्रमिकों, मजदूरों, कारीगरों की दीपावली का खर्च मिलने वाले काम के आधार पर तय होती है।

रंगाई- पोताई हेतु सामान्य तौर पर गांव वाले चार-आठ का छोटा समूह बनाकर निकलते हैं। वे ठेका लेकर कार्य करते हैं। यह भी दो प्रकार का होता है। निर्धारित अवधि वाला या असीमित अवधि। दूसरा रंगाई- पोताई हेतु सामग्री सहित ठेका या केवल पोताई -रंगाई का ठेका। कमरों की संख्या, घरों का साइज, डिजाइन, फ्लोर देखकर, समय का अनुमान लगाकर दर तय होता हैं।

दूसरी और घरों की साफ-सफाई ,मसलन बगीचों, गार्डन की कटाई- छटाई ,दरवाजे, खिड़की, छज्जे, कूलर, फ्रिज, टीवी, गाड़ियां, सोफा आदि गेट मुख्य द्वार की सफाई, सामानों की धुलाई, आदि। तीसरा विधुत साज-सजावट डेकोरेशन। घर की साइज देखकर। इसके अलावा पकवान बनाने का ठेका हलवाई लेते हैं। इनका दर भी सामान्य दिनों की तुलना में डेढ़ गुना से अधिक रहता है। आसपास के गांव -देहातों के लोग दशहरा बाद छोटे-छोटे समूह में साइकिल बस से आते हैं। वे घर-घर जाकर कार्य ढूंढते हैं। कुछ चौराहों पर ठेकेदारों के पास जाते हैं। आमतौर पर सुबह 9-10 से शाम 5-6 बजे तक कार्य पूरा कर गांव लौट जाते हैं।

(लेखक डॉ. विजय)

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