Olympic Asiad-19 2023: जशन दिखाता बताता है खेल तक में में भेदभाव करते हैं कुछ खेल प्रेमी
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Olympic Asiad-19 2023 :
Olympic Asiad-19 2023 : रायपुर देश में खेल तक को लेकर आम जन कैसा भेदभाव करते हैं Olympic Asiad-19 2023 उससे मन कसैला हो जाता है इसकी बानगी देखें हाल ही में हानझाऊ चीन में खेले गए एशियाड 19 स्पर्धा में भारत ने शानदार प्रदर्शन कर चौथा स्थान प्राप्त करते हुए शानदार 107 मैडल जीते थे। पर तब राजधानी समेत समूचे छत्तीसगढ़ प्रदेश के किसी भी शहर के जयस्तंभ चौक पर जश्न मनाने की खबर नहीं आई। अहमदाबाद में क्रिकेट विश्व कप के एक लीग मैच में पाक को संभावित मात देने पर हर कहीं के जयस्तंभ या अन्य मुख्य चौक-चौराहे पर जश्न मनाने की खबरें वायरल होती रही।
हमेशा से देखा जाता रहा है कि जब-जब भारत में किसी भी स्तर की क्रिकेट स्पर्धा में पाक को मात दी तब-तब जयस्तंभो पर सैकड़ो-हजारों लोग भारतीय झंडा (तिरंगा) लेकर जय हिंद, भारत माता की जय का उद्घोष करते- पटाखे भी खूब फोड़ते हैं। इससे एतराज नहीं। पर एतराज तब जब यही चीज अन्य खेलों में विश्व स्तर पर भारत द्वारा अच्छा प्रदर्शन करते हुए कप जीतने या एथलेटिक्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर भी कहीं नहीं दिखती। ऐसे में भेदभाव देख मन कसेला हो जाता है। सवाल उठते है – क्या अन्य खेल-खेल नहीं है। क्या अन्य खेलों के खिलाड़ी भारतीय नहीं है। अगर दोनों का जवाब सकारात्मक है तो फिर दीगर स्पर्धा में विजय भवः होने पर उत्साह, जोश, प्रदर्शन क्यों नहीं दिखाई देता अन्य ऐसे खेलो जिससे खिलाड़ी व्यक्तिगत स्पर्धा तक में मैडल जीतता या टीमें जीतती है तब उत्साही दर्शक कहां चले जाते हैं।
इसका जवाब है -दरअसल दो तिहाई से अधिक भारतीयों को पता तक नहीं रहता की एथलेटिक्स इस स्पर्धा हो रही है। दूसरा उन्हें इन खेलों में किंचित मात्र कीभी रुचि नहीं रहती। ऐसी स्थिति में भला हम उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं। कि वह चौक- चौराहों पर एथलेटिक्स एशियाड या ओलंपिक आदि स्पर्धा में भारतीय टीम या व्यक्तित्व जीत पर इस तरह जश्न प्रदर्शन करें। ऐसे में अन्य खेलों के खिलाड़ी भेद भाव देख निरुत्साहित होते हैं। इस दिशा में सरकार नहीं बल्कि संबंधित खेलों से जुड़े लोगों को खुद सोचना होगा। दो-तीन दशक हो चले आज तक क्रिकेट छोड़ अन्य खेल पर राजधानी क्या दीगर शहरों, कस्बों में दो जयस्तंभ पर उद्घोष, नारे जश्न ,पटाखे फोड़ते दो-चार समर्थकों तक को नहीं देखा।
(लेखक डॉ. विजय )