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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : अपनी अकड़ में जकड़, छोटे दलों ने खोया सुनहरा मौका …!

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 :

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 :

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : 7 एवं 17 नवंबर को राज्य की जनता अपनी नई सरकार के लिए मतदान करेगी

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : रायपुर छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव आखिर सिर पर आ बैठा। 7 एवं 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 राज्य की जनता अपनी नई सरकार के लिए मतदान करेगी। यहां दो प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस है। शेष छोटे- मंझोले 10 दल। जो चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के लोगों की तासीर (संस्कृति) है कि ज्यादातर लोग स्पष्टवादी, सीधे-साधे साफ दिल

छत्तीसगढ़ के लोगों की तासीर (संस्कृति) है कि ज्यादातर लोग स्पष्टवादी, सीधे-साधे साफ दिल, एक सिद्धांत पर चलने वाले मेहनतकश, खुद्दार हैं। बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी न होना उन्हें न केवल विशिष्ट बनाता बल्कि इंसानियत के तकाजें में भर देता है। संक्षेप में कहें तो राजनैतिक दृष्टिकोण से दोनों प्रमुख दल भाजपा- कांग्रेस में से कोई एक का समर्थन।

छत्तीसगढ़ में 10 के करीब छोटे दल

दूसरी बात पर सीधे आते हैं- यहां 10 के करीब छोटे दल हैं। जो इस चुनाव में उतर रहे हैं। जिनमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, हमर राज, शिवसेना, छत्तीसगढ़ समाज पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे.; आम आदमी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया आदि शामिल हैं। आमतौर पर उपरोक्त छोटे-मंझोले दल स्वयं को राज्य का हितैषी बता, छत्तीसगढ़ियावाद की बात कहते-करते हैं। अच्छी बात है। तमाम दल दोनों बड़े दल की बुराई करते उनकी नीतियों को कमतर बताते हैं। जो उनका (छोटे दलों) विपक्ष होने के नाते अधिकार है।

तमाम उपरोक्त छोटे-मंझोले दल छत्तीसगढ़ के विकास को प्रमुखता देते

घूम फिरकर तमाम उपरोक्त छोटे-मंझोले दल छत्तीसगढ़ के विकास को प्रमुखता देते हैं। तब क्यूंकर एक साथ एक गठबंधन बनाकर आगे नहीं आते। अगर ये तमाम दल गठबंधन बनाकर पूरी 90 सीटों का समान बंटवारा कर, जनता के सामने आए तो संभव है। कि यहां के मतदाताओं को तीसरा विकल्प मिले। और उनका जनता भरोसा वाकई रखते हैं- पाते हैं -जीतते हैं तो संभव है कि गठबंधन एक तिहाई के करीब सीटों पर विजय पा भी ले। ऐसा कुछ होता है तो हैरानी भी नहीं होती। पर जज्बा तो चाहिए।

इस वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव उपरोक्त छोटे-मंझोले दलों के लिए सुनहरा मौका लेकर आया था

इस वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव उपरोक्त छोटे-मंझोले दलों के लिए सुनहरा मौका लेकर आया था। पर चूक गए। अब लड़ तो सब रहे हैं कोई 8-10 ;
कोई 15- 20 कोई 25- 30 ; तो कोई 50-60 तो कोई पूरे 90 सीटों पर। यानी वोट बंटता है तो बंटे। हमारा अस्तित्व कायम रहना चाहिए ? भई जिस राज्य के लोगों के हित की दुहाई देते हुए खड़े होने-संघर्ष की बात करते हो उनके वास्ते एक बार सही गठबंधन बनाकर देख लेते। शायद तीसरा विकल्प खड़ा हो जाता। जिसका हिस्सा हर छोटा-मंझोला दल होता। भले उसका 1-2 विधायक ही गठबंधन में होता। पर जाने कौन सी अकड़ में जकड़ वर्तमान- भविष्य दांव पर लगा रहे हो। मान लो गठबंधन फेल हो जाता – तो वापस अपने घरोंदों की राह पकड़ लेते। जब इतने समय से पार्टी चला रहे हो तो थोड़ा वक्त गठबंधन के लिए कुर्बान कर देते। आर या पार, भले दल छोटे-मोटे पर हैं तो होशियार ! फिर क्यूं नहीं हुए तैयार …!

(लेखक डॉ. विजय )

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