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CG NEWS Sarangarh :नगरीय प्रशासन विभाग का जबरदस्त कारनामा, करोड़ों के भ्रष्टाचार में लिप्त दोषियों को आरोप पत्र के साथ ही कर दिया निलंबन से बहाल

सारंगढ़ का मुड़ा तालाब टेंडर घोटाला केस, जनता को दिखाने दोषियों को किया निलंबित लेकिन अल्पावधि मे ही बहाल कर बैक डोर से दी एंट्री और नई जगह दी पोस्टिंग।

भ्रष्टाचार में लिप्त चरम सीमा का सुख लेने वाले अधिकारीयों का कारनामा जग जाहिर है। विभागीय जांच में स्पष्ट दोषी पाए जाने के बाद भी उन पर नियम के विपरीत कार्यवाही की गई।

CG News Sarangarh : सारंगढ़/ बिलाईगढ़, प्रदेश के कई विभागों में भ्रष्टाचार के शिकायतों पर जांच और जाँच के बाद में दोषियों पर कार्यवाही का मामला सभी ने देखा और सुना ही होगा। पर आज हम ऐसे करोड़ो के भ्रष्टाचारी अधिकारी और कर्मचारी के बारे में बताएंगे जिनकी सेटिंग न केवल एक जिले में है बल्कि राजधानी के प्रमुख विभाग में भी है।

जिनके आश्रय से भ्रष्टाचार अधिकारी,कर्मचारी बेखौफ होकर शासन के करोड़ो रुपयों का बन्दर बांट कर लेते हैं और नगरीय प्रशासन विभाग कार्यवाही के नाम पर अधिकारी उन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देते हुए उन्हें नई जगह पोस्टिंग करा देते हैं।

 

बता दें कि, सारंगढ़ की सबसे विशाल जलाशय मुड़ा तालाब नगरवासियों के दैनिक जीवन की एक प्रमुख अंग मानी जाती है। वहां के लोग ना सिर्फ उस तालाब को अपने जीवन यापन का एक अभिन्न हिस्सा मानते हैं बल्कि एक आस्था के भाव से भी देखते हैं। लेकिन सारंगढ़ नगर पालिका के घूसखोर अधिकारियों और कर्मचारियों की ने उस तालाब के सौंदर्यीकरण की राशि का गबन कर दिया। जिसके कारण सारंगढ़ नगरवासियों की धरोहर रूपी तालाब के सौंदर्यीकरण का सपना अधूरा रह गया साथ ही शासन को करोड़ो रूपए का नुक्सान भी हुआ । भ्रष्ट अधिकारी ने पहले तो तालाब निविदा में भ्रष्टाचार का ऐसा दाग लगा दिया जो सारंगढ़ वासियों को हमेशा याद रहेगा।

 

सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा

शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए बिना स्वीकृति के करोड़ों का टेंडर निकालकर बिना कार्यादेश से काम शुरू करा दिया। फिर ठेकेदार को अवैध ढंग से सहायता प्रदान कर करोड़ों के अनियमितता को अंजाम दिया। प्रभारी सीएमओ और उपयंत्री ने मिलकर सुडा की महत्वाकांक्षी योजना सरोवर धरोहर का मजाक बना दिया है, ठेकेदार से कमीशन लेकर नियम विरुद्ध कार्य शुरू कर दिया था।


नगरीय प्रशासन विभाग की ये कैसी कार्यवाही ?

करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले की जाँच मे मुख्य दोषी सिद्ध हो जाने पर भी केवल 84 दिनों में निलंबन से बहाल कर दिया गया, जबकि भ्रस्टाचार के प्रकरणों मे कई आरोपियों को सालों से निलंबित रखा जाता है। शासन के निर्देशानुसार निलंबन पश्चात आरोप पत्र दिए जाने पर जवाब आने तक इंतजार किया जाता है। उसके बाद ही निलंबन से बहाली पर विचार होता है, लेकिन यहां तो नियम के विपरीत ही उल्टी गंगा बह गई।

CG News Sarangarh: सामान्यतः राज्य शासन जब किसी को निलंबित करती है तो निलंबन के दिनांक से 90 दिवस के भीतर उस निलंबित अपचारी सेवक को आरोप पत्र जारी करती है, उस आरोप पत्र का जवाब अगर 30 दिन मे वो अपचारी सेवक नहीं देता या जवाब समाधान कारक प्राप्त नहीं होता तो उसके खिलाफ विभागीय जांच संस्थित हो जाती है, लेकिन गबन का यह विचित्र प्रकरण सारंगढ़ वासियों को ना सिर्फ सोचने पर  मजबूर किया बल्कि शासन प्रशासन की नीतियों पर सवालिया निशान भी लगा दिया ।

नगरीय प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने भ्रष्ट अधिकारी को तुरंत बहाल करने की कार्यवाही का विरोध करते हुए मंत्रालय की नोट शीट मे यह भी लिखा कि आरोप पत्र जारी पश्चात जवाब प्राप्ति के बाद ही निलंबन से बहाली पर विचार संभव, लेकिन अधिकारी के इस टिप को दरकिनार कर उसी दिन बहाल कर दिया गया। इस बात से यह स्पष्ट ही स्पष्ट हो जाता है कि नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी कहीं न कहीं दोषी व करोड़ो के भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं।

सूत्रों ने अनुसार करोड़ो के गबन पर दोषी करार अधिकारी कर्मचारी बिना किसी राजनितिक संरक्षण या बड़े अधिकारियों के बचाव से करोड़ो के भ्रष्टाचार का खेल खेलना संभव ही नहीं है। मामले में जांच पर भ्रष्टाचार सिद्ध होने के बाद भी कार्यवाही नहीं होने से नाराज क्षेत्र के लोगों में शासन के कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों में यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि, राजनीतिक पहुंच होने के साथ विभाग में जबरदस्त सेटिंग की होने की वजह से इन पर कार्यवाही नहीं हो रही है।

 

विभागीय जांच में भ्रष्टाचार स्पष्ट होने के बाद भी कार्यवाही के लिए क्यों पीछे हट रही विभाग ! संदेह के घेरे में नगरीय प्रशासन विभाग !

(1) सारंगढ़ नगर पालिका में प्रभारी सीएमओ और कर्मचारियों द्वारा बिना स्वीकृति के टेंडर जारी किया गया। करोड़ों के टेंडर में बिना कार्यादेश के काम प्रारम्भ कर दिया गया।

(2) सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों की राशि, मगर ठेकेदार ने लालच में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा और गुणवत्ताहीन काम कर पैसों का बंदरबांट कर दिया।

(3) नगर पालिका परिषद् सारंगढ़ में हुए करोड़ों के कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद विभागीय जांच में अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार दोषी सिद्ध मगर कार्यवाही के नाम दिया गया संरक्षण।

(4) सैनिटाइजर खरीदी में 12 लाख का गबन, अधिकारियों की कमीशन ख़ोरी और शासन निर्देश की खुले आम अवहेलना सिद्ध। जबकि उड़ती हुई खबरों की मानें तो ठेकदार M/s सूरज प्रकाश अग्रवाल पूर्व पालिका अध्यक्ष के चचेरे भाई बताये जाते हैं, जो नियम से पालिका मे कोई भी ठेका नही ले सकता, लेकिन विगत 15 सालों से अरबों का काम कर चुका है | सभी घोटालों की जाँच कर वसूली होनी चाहिए।

(5) नगरीय प्रशासन विभाग की जांच टीम की रिपोर्ट पर स्पष्ट उल्लेख है की वास्तव में हुई करोड़ो के कार्यों में अनियमितता और घप्लेबाजी।

(6) खैराहा के पास बिलासपुर मेन रोड से शिव मंदीर तक CC रोड और नाली निर्माण में भी मंत्रालय के जाँच अधिकारियों को घप्ला मिला, बिना स्थल परिवर्तन अनुमति के गुप चुप तरीके से कही और निर्माण करा दिया, और उसी नाम से एक और नया काम स्वीकृत कराकर 35 लाख का बंदरबाट कर आपस मे पैसा बाँट लिया, मजे की बात ये है इसमें अभी दोषी कोई और नहीं वही पुराने प्रभारी  सीएमओ संजय सिंह, उपयंत्री तारकेश्वर नायक और फ़र्ज़ी ठेकेदार सूरज प्रकाश अग्रवाल है, ताज्जुब है की एक साथ 3 अलग अलग प्रकरणों मे दोषी पाए जाने पर भी भ्रष्ट सीएमओ संजय सिंह, भ्रष्ट उपयंत्री तारकेश्वर नायक और फ़र्ज़ी ठेकेदार सुरक्षित हैं इनके उपर कोई कार्यवाही नही हो रही है।

 

क्या कहते है नगरवासी 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार इसकी शिकायत नगर पालिका मे की गई, चूंकि नगर पालिका स्वयं ही इस भ्रष्टाचार मे शामिल था जिसके लिए यहां कोई भी सुनवाई नहीं हुई और गुणवत्ताहीन काम का अंजाम दिया गया, फिर स्थानीय प्रशासन को शिकायत प्राप्त हुई लेकिन वहां से भी कोई सांकेतिक कार्यवाही नहीं हुई, क्योंकि रसूखदार ठेकेदार ने वहां कई लोगो को सेट कर रखा था।न लोगो का यह भी आरोप है कि सभी को कमीशन देकर चूप करा दिया गया।

आखिरकार कही से कोई कार्यवाही होता हुआ ना देखकर लोगों ने मंत्रालय नगरीय प्रशासन महानदी भवन मे शिकायत भेजी, उस शिकायत पत्र की सत्यता की जांच के लिए मंत्रालय ने नगरीय प्रशासन के तत्कालीन संचालक और अपने पाक साफ तेज तर्रार प्रख्यात डॉक्टर प्रियंका शुक्ला को भेजी गई, संचालक ने तत्काल ही 4 तकनीकी अधिकारियों की जांच टीम बनाई जिसके अध्यक्ष मुख्य अभियन्ता नगरीय प्रशासन हुए, जांच टीम ने अपने जांच में पाया की नगर पालिका सारंगढ़ में मुड़ातालाब के सौंदर्यिकरण का टेंडर ना सिर्फ बिना सक्षम स्वीकृति के जारी कर दिया था बल्कि बिना कार्यादेश के ठेकेदार से काम भी प्रारम्भ करवा लिया। सभी के साठगांठ से काम के गुणवत्ता पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया गया और लोगों को दिखाने खानापूर्ति का काम जोरों से किया गया।

जाँच टीम ने मौका निरीक्षण मे पाया कि अनेकों प्रकरणों मे आरोपी और विवादित और अति भ्रस्टाचारी प्रभारी CMO संजय सिंह और कमिशनखोर उपयंत्री तारकेश्वर नायक साफ तौर पर दोषी मिले। जांच टीम ने इस पूरी घटना की क्रम बद्ध तरीके से विस्तृत जांच रिपोर्ट संचालक को दी फिर संचालक ने उक्त रिपोर्ट तत्काल ही शासन को दोषियों पर कार्यवाही की अनुशंसा सहित भेज दी, शासन ने उस जांच रिपोर्ट का परीक्षण किया और जांच रिपोर्ट से शतप्रति शत सहमत होते हुए प्रभारी सीएमओ और उपयंत्री को तत्काल निलंबित कर मुड़ातालाब की वे निविदा को निरस्त कर दिया और पुनः नए सिरे से स्वच्छ निविदा आमन्त्रित करने का आदेश जारी किया था।

इस तीव्र कार्यवाही से सारंगढ़ के लोगों मे शासन प्रशासन की शून्य सहिष्णुता नीति पर भरोसा जाग उठा था, लेकिन तभी खबर आई की महज 84 दिनों मे मुख्य आरोपियों मे से एक उप यंत्री तारकेश्वर नायक को निलंबन से बहाल कर पास के ही नगर पंचायत भटगांव में तबादला कर संरक्षण दिया गया और उसके कुछ दिन बाद प्रभारी सीएमओ संजय सिंह को भी बहाल कर पास के नगर पंचायत बिलाईगढ भेज दिया गया ।

जिस दिन भेजा आरोप पत्र,उसी दिन किया निलंबन से बहाल – ये कैसी कार्यवाही ?

निलंबन से इतनी जल्दी बहाल कर फिर से पोस्टिंग देने की शासन की कार्यवाही लोगों के लिए संदेहास्पद रही कई लोगो ने शासन से सूचना के अधिकार (RTI) मे इन दोनों आरोपियों की निलंबन से अल्प समय में की गई बहाली की फाइल निकाली, फाइल को देखने से पता चलता है की दोनों ही भ्रष्टाचार मे लिप्त अधिकारियों को दिनांक 23.06.22 को निलंबित किया गया था, शासन के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 9 (2) (ख) के प्रावधानों के तहत अपचारी निलंबित सेवकों को 90 दिवस मे निलंबन का आरोप पत्र जारी नहीं करने से उन्हे बहाल करना पड़ता है, इससे बचने के लिए शासन ने दोनों अपचारी सेवकों को दिनांक 16.09.22 को निलंबन का आरोप पत्र पकड़ा दिया। लेकिन हद तो तब हो गई जब उसी दिन 16.09.22 को जिस दिन आरोप पत्र जारी हुआ उसी दिन मुख्य आरोपी तारकेश्वर नायक को निलंबन से बहाल भी कर दिया गया।

सूचना के अधिकार से प्राप्त मंत्रालय के नोट शीट का अध्ययन करने से साफ पता चलता है की जब भ्रष्ट उप यंत्री तारकेश्वर नायक की निलंबन से बहाली का प्रस्ताव नोट शीट मे आया तो संयुक्त सचिव नगरीय प्रशासन ने बहाली का विरोध करते हुए साफ साफ लिखा कि दोषी व निलंबित आरोपियों को पहले आरोप पत्र दिया जाए, आरोप पत्र का जवाब आना चाहिए, प्राप्त जवाब का परीक्षण कर उसके अनुरूप ही निलंबन से बहाली का निर्णय लेना उचित होगा, एक उच्च स्तर के अधिकारी संयुक्त सचिव के नोटशीट पर उल्लेखित टिप को सिरे से दरकिनार कर दिया और आरोप पत्र जारी होने के दिन ही दिनांक 16.09.22 को ही निलंबन से बहाल कर दिया गया। जो शासन के नियन के विरूद्ध है ।

तात्कालिक प्रभारी सीएमओ पर उच्च विभाग की मेहरबानी
दूसरे मुख्य आरोपी प्रभारी सीएमओ संजय सिंह को भी निलंबन से बहाल कर दिया गया, वर्तमान मे इस प्रकरण मे विभागीय जांच चल रही है, जिसमे जांच अधिकारी संयुक्त संचालक संभाग कार्यालय बिलासपुर को बनाया गया है, विभागीय जांच पूर्ण करने के लिए शासन ने जांच अधिकारी को 03 माह का समय दिया था, अब आगे देखना ये होगा की वाकई मे दोषियों को सजा होगी या फिर राजनीतिक दबाव का प्रयोग करके सब सेटलमेंट कर लिया जायेगा ?

CG News Sarangarh :पूर्व सीएमओ और कर्मचारी ने ठेकेदार से मिलकर सैनिटाइजर खरीदी में 12 लाख की राशि को गबन किया था। वर्तमान में शेष राशि 17 लाख रूपये की मांग को लेकर नगर पालिका सारंगढ़ के वर्तमान सीएमओ और ठेकेदार के द्वारा विभाग से मांग की जा रही है। देखने वाली बात होगी कि जिस काम के लाखों रुपयों पर भ्रष्टाचार और गबन का मुहर लग चूका हो उस काम के लिए विभाग के बड़े अधिकारी शेष राशि को जारी करेंगे या नहीं ..?

क्या कहते है अधिकारी 

सवाल – नगर पालिका सारंगढ़ में 2020 में सेनीटाइजर और स्वच्छता सामग्री के लिए 12 लाख की राशि शासन से प्राप्त हुई थी, जिसको अधिकारी ,कर्मचारी और ठेकेदार ने मिलकर गबन कर दिया था। यह बात सुचना के अधिकार में स्पष्ट है, तो क्या शेष बचे राशि को विभाग नगर पालिका परिषद सारंगढ़ को फिर से जारी करेगा ?

अधिकारी का जवाब – जयप्रकाश साहू ( उप संचालक ,शिकायत शाखा नगरीय प्रशासन )

जवाब – प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं है, इस सम्बन्ध में कोई दस्तावेज हो तो भेजिए। हम जांच कर के बताएंगे, बिना जांच के कुछ भी नहीं बोल सकता।

अय्याज फकीर भाई तंबोली (सचिव नगरीय प्रशासन विभाग )

जवाब – आपके सवाल को में समझ गया पर आप क्या चाहते हैं बताइए और इससे संबंधित शिकायत पत्र दीजिए ,अभी मौखिक रूप से इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है।

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