श्राद्ध करने का अधिकार
पिता का श्राद्ध करने का अधिकार मुख्य रूप से पुत्र को ही है। एक से अधिक पुत्र होने पर श्राद्ध कि सभी क्रियाएं ज्येष्ठ पुत्र को करनी चाहिए। अगर पुत्र न हो तो पत्नी को श्राद्ध करना चाहिए और पत्नी के भी अभाव में सहोदर भाई या फिर पौत्र-प्रपौत्र, बेटी-दामाद, भतीजा इसके अधिकारी होते है।
इन चीजों का करें दान
श्राद्ध पक्ष में गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान ,गुड़, चांदी और नमक इन दस वस्तुओं का दान पितरों के नाम से किया जाता है। इस पक्ष में पितरों से संबंधित दान केवल ब्राह्मणों को दिया जाना चाहिए। भोजन पर ब्राह्मण का ही अधिकार है, क्योंकि ब्राह्मणों को ब्रह्म का सीधा प्रतिनिधि माना जाता है।
पितृ पक्ष को पितरों की पूजा के लिए समर्पित किया गया है, इस वजह से इसके लिए कुछ नियम हैं, जिनका पालन जरूरी होता है। नियमों का पालन न करने से पितृ दोष लगता है या आपके पितर आप से नाराज हो सकते हैं।