Hangzhou Asian Games 2023 : एथलेटिक्स की सफलता पर चौक-चौराहों पर आतिशबाजी मंहगी क्यों …!

Hangzhou Asian Games 2023 :
Hangzhou Asian Games 2023 : एशियाड खेल जारी है -खेल-खिलाडियों से भेदभाव न करें
Hangzhou Asian Games 2023 : रायपुर। चीन के हांगझाऊ में जारी 19 वे एशियन गेम्स में भारतीय अपनी Hangzhou Asian Games 2023 प्रतिभाएं दिखा रहे हैं। इसी कड़ी (बुधवार 27 सितंबर) को भारतीय महिला निशानेबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2 स्वर्ण समेत 2 रजत, 3 कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। इसके पूर्व महिला क्रिकेट में भारत ने श्रीलंका को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। हमारे महिला-पुरुष खिलाड़ी यथासंभव उम्दा प्रदर्शन कर रहे हैं पर अफसोस राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के अन्य शहरों में भी इन सफलताओं पर कही आतिशबाजी की खबरें नहीं मिल रही है।ना ही उल्लास।
भारतीय पुरुष टीम क्रिकेट में एक-दो मैच किसी देश के खिलाफ जीत ले या पाक को हरा दे तो मिडिया गुणगान करती है
सीधे पिच पर आते हैं भारतीय पुरुष टीम क्रिकेट में एक-दो मैच किसी देश के खिलाफ जीत ले या पाक को हरा दे, या कोई बल्लेबाज तेज गति से सेंचुरी मार दे, शानदार गेंदबाजी कर दे तो तमाम प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मीडिया, कव्हर के लिए टूट पड़ते हैं। फ्रंट पेज में खबरें, हेडलाइन, सब हेडलाइन बनेगी। साधारण से मैच। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तहलका- सनसनी बड़ी खबरें बता कर दिन भर राग अलापते रहेंगे। चौक चौराहों, गली-मोहल्ले यहां तक घर-घर जाकर आम जनों से, ऐसे लोगों से भी जो एबीसीडी नहीं जानते उनसे प्रतिक्रियाएं लेंगे। संस्थाएं, लोग, प्रशंसक, राजनैतिक दलों, संगठनों तक के पदाधिकारी, निकायों के पदाधिकारी तक चौक- चौराहे पहुंच प्रसन्नता का इजहार करेंगे। लड्डू, मिठाइयां बाटेंगे। राष्ट्रध्वज लहरायेंगे। देशभक्ति पूर्ण गीत बजायेंगे।
एशियाड हो या अन्य एथलेटिक्स स्पर्धा चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों ना हो- जैसे उपरोक्त सबको बुखार आ जाता
पर एशियाड हो या अन्य एथलेटिक्स स्पर्धा चाहे कितनी भी महत्वपूर्ण क्यों ना हो- जैसे उपरोक्त सबको बुखार आ जाता है। तब प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया कव्हर करते दौड़ते नजर नहीं आयेगे। फ्रंट लाइन, जब हेडिग वाली न्यूज नही बनेंगे चौक-चौराहे, गलियों, घरों में जाकर संबंधित खिलाड़ियों, कोच, मैनेजरो तक से प्रतिक्रियाएं नही लेंगे। लोग सड़कों, चौराहों-गलियों में नहीं उतरेंगे। पटाखे महंगे पड़ेंगे। राजनैतिक दल के संगठन पदाधिकारियों, निकायों के पदाधिकारियों के पास तब वक्त नहीं रहेगा। लड्डू-मिठाई बांटना महंगा पड़ेगा। राष्ट्रीय ध्वज ढूंढना पड़ेगा। भाई ऐसे में हमारे प्रतिभा वान एथलेटिक्स भी हत्तोसाहित होते हैं। उन्हें भी हक है, उन्हें भी इच्छा होती है कि जब वे देश-प्रदेश के लिए खेल रहे हैं- प्रदर्शन कर रहे हैं- प्रतिनिधित्व कर रहें हैं तो लोग घरों- दफ्तरो से बाहर निकल जशन मनाए। महंगा पड़ता है तो खाली-पीली नारे लगाने निकले। किसी जानकार प्रसिद्ध, निष्ठावान, देशभक्त क्रिकेटर से पूछे क्या एथलेटिक्स के साथ इस देश में न्याय हो रहा है। बात कड़वी लगेगी। खेल-खेल होता है छोटा बड़ा नहीं। खिलाड़ी-खिलाड़ी होता है- छोटा बड़ा नहीं। हर खिलाड़ी देश के लिए खेलते समय सीना (छाती) एक समान चौड़ी करता है। फिर उन्हें बधाई देने, प्रशंसा करने, प्रोत्साहित करने, समर्थन देने में भला फर्क (अंतर) क्यूं। एथलेटिक्स एक टीम का हिस्सा बनने एक अदद पदक पाने कितनी कड़ी मेहनत बारहों (12) महीना करता है पता है।
बधाई, ढेरों शुभकामनाएं देश को नाज है महिला निशाने बाजों पर
बहरहाल बधाई, ढेरों शुभकामनाएं देश को नाज है महिला निशाने बाजों। जिन्होंने 2 स्वर्ण, 2 रजत,3 कस्य जीत लिए हैं। महिला क्रिकेटर खिलाड़ियों को स्वर्ण के लिए बधाई। इसी तरह पुरुष खिलाड़ियों को पदक जीतने पर ढेरों बधाई। इनमें से कई महिला खिलाड़ियों ने डॉक्टरी की पढ़ाई, अन्य शिक्षा की पढ़ाई, दूसरे खेलों को एथलेटिक्स के लिए त्याग दिया। कितने के गरीब, मध्यम वर्गीय परिवारों ने घर-बेच दिया। किट के लिए माताओं ने गहने गिरवी रख दिए। कितने के माता-पिता छोटी-मोटी नौकरी, काम धंधे कर घर चला रहे हैं। अगर ऐसी प्रतिभाओं को देश से समर्थन, प्रोत्साहन शाबाशी नहीं मिलती तो क्या कुछ उन पर गुजरती होगी- सोचे- विचारे। इसके साथ ही खुद से सवाल करें विभिन्न भेदभावों का मुखर होकर विरोध करने वाले हम (प्रखर) खेलों-खिलाड़ियों के बीच क्या भेदभाव नहीं कर रहे। सोचो इस भेदभाव (बेशक आप पसंद कहें) का कैसा प्रभाव पड़ता होगा। बात पंसदीदा खेल नहीं। खेल राष्ट्रीयता की।
(लेखक डॉ. विजय )